Book Title: Chintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya

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Page 136
________________ चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश १६१ विस्रष्टव्य १६२ उत्स्रष्टव्य १६३ स्प्रष्टव्य स्पष्टव्य विध्यर्थ (नृत्य) दृहन्त विसर्जनीय विसृज्य |१८७ पारयितव्य पारणीय विसर्ग्य १८८ पालयितव्य पालनीय उत्सर्जनीय उत्सृज्य १८९ भक्षयितव्य भक्षणीय उत्सर्ग्य १९० कथयितव्य कथनीय स्पर्शनीय स्पृश्य १६४ स्फुटितव्य स्फोटनीय १६५ स्फुरितव्य स्फुरणीय १६६ एषितव्य एषणीय एष्टव्य १६७ प्रष्टव्य १६८ वेष्टव्य १६९ प्रवेष्टव्य १७० उपवेष्टव्य प्रच्छनीय वेशनीय स्फुट्य स्फोर्य एष्य प्रच्छ्य वेश्य प्रवेशनीय प्रवेश्य उपवेशनीय उपवेश्य मोचनीय मोच्य सेचनीय सेक्य देशनीय देश्य आदेशनीय आदेश्य उपदेशनीय उपदेश्य चिन्त्य १७१ मोक्तव्य १७२ सेक्तव्य १७३ देष्टव्य १७४ आदेष्टव्यं १७५ उपदेष्टव्य १७६ चिन्तयितव्य चिन्तनीय १७७ दण्डयितव्य दण्डनीय १७८ पीडयितव्य पीडनीय पूज्य १७९ पूजयितव्य पूजनीय १८० वर्णयितव्य वर्णनीय वर्ण्य १८१ सान्त्वयितव्य सान्त्वनीय सान्त्व्य १८२ चोरयितव्य चोरणीय चोर्य घोष्य १८३ घोषयितव्य घोषणीय १८४ तोलयितव्य तोलनीय तोल्य १८५ भूषयितव्य भूषणीय १८६ ताडयितव्य ताडनीय भूष्य ताड्य दण्ड्य पीड्य १९१ गणयितव्य गणनीय १९२ रचयितव्य रचनीय १९३ विरचयितव्य विरचनीय १९४ स्पृहयितव्य स्पृहणीय १९५ गर्जयितव्य गर्जनीय १२९ मृगणीय माननीय पाय पाल्य भक्ष्य कथ्य गण्य रच्य विरच्य स्पृह्य गय १९६ क्षालितव्य क्षालनीय क्षाल्य १९७ प्रक्षालयितव्य प्रक्षालनीय प्रक्षाल्य १९८ मूलयितव्य मूलनीय मूल्य १९९ उन्मूलयितव्यउन्मूलनीय उन्मूल्य २०० वर्जयितव्य वर्जनीय वर्ण्य २०१ परिवर्जयितव्य परिवर्जनीय परिवर्ज्य २०२ अर्पयितव्य अर्पणीय अर्प्य २०३ समर्पयितव्य समर्पणीय समर्प्य २०४ लोकयितव्य लोकनीय लोक्य २०५ विलोकयितव्य विलोकनीय विलोक्य -२०६ अर्थयितव्य अर्थनीय अर्थ्य २०७ प्रार्थयितव्य प्रार्थनीय प्रार्थ्य २०८ मृगयितव्य २०९ मानयितव्य मृग्य मान्य

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