Book Title: Chintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya

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Page 63
________________ व्यहरम् . रियामा चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश ११० वि+ह गण-१ उभय. विडा२ ४२पो. विहार करना, विचरण करना कर्मणि कर्तरि पच्ये पच्यावहे पच्यामहे ॥ विहरामि विहरावः विहरामः पच्यसे पच्येथे पच्यध्वे ॥ विहरसि विहरथः विहरथ पच्यते पच्येते पच्यन्ते | विहरति विहरतः विहरन्ति अपच्ये अपच्यावहि अपच्यामहि व्यहराव. व्यहराम अपच्यथाः अपच्येथाम् अपच्यध्वम् व्यहरः व्यहरतम् व्यहरत अपच्यत अपच्येताम् अपच्यन्त व्यहरत व्यहरताम् व्यहरन् पच्येय पच्येवहि पच्येमहि | विहरेयम् विहरेव विहरेम पच्येथाः पच्येयाथाम् पच्यध्वम् विहरेः विहरेतम् विहरेत पच्येत पच्येयाताम् पच्येरन् | विहरेत् . विहरेताम् विहरेयुः पच्यै [विहराणि । विहराव - विहराम पच्यस्व पच्येथाम् पच्यध्वम् ॥ विहर विहरतम् विहरत पच्यताम् पच्येताम् पच्यन्ताम् ॥ विहरतु विहरताम् विहरन्तु १११ परि + ह्र गण-१ उभय. परि७२ ४२यो, त्या ४२वो. परिहार करना, त्याग करना, छोडना हिये हियावहे हियामहे परिहरामि परिहरावः परिहरामः । हियसे हियेथे हियध्वे || परिहरसि परिहरथः. परिहरथ हियते हियेते हियन्ते || परिहरति परिहरतः परिहरन्ति अहिये अहियावहि अहियामहि ॥ पर्यहरम् पर्यहराव पर्यहराम अहियथाः अहियेथाम् अहियध्वम् पर्यहरः पर्यहरतम् पर्यहरत अहियत अहियेताम् अहियन्त पर्यहरत् पर्यहरताम् पर्यहरन् हियेय हियेवहि ह्रियेमहि ॥ परिहरेयम् परिहरेव परिहरेम हियेथाः हियेयाथाम् हियेध्वम् परिहरेः परिहरेतम् परिहरेत हियेत हियेयाताम् हियेरन् । परिहरेत् परिहरेताम् परिहरेयुः हियै हियावहै हियामहै परिहराणि परिहराव परिहराम ह्रियस्व हियेथाम् हियध्वम् परिहर परिहरतम् परिहरत हियताम् हियेताम् . हियन्ताम् । परिहरतु परिहरताम् परिहरन्तु

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