Book Title: Chatvar Karmgranth
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 147
________________ 102 . देवेन्द्रसूरिविरचितः सावरिका [गाथ गणास्थानमाश्रित्य, स चात्र बहुषु स्थानेषुपयोगीति मूलतोऽपि दर्श्यते अभिनवकम्मग्गहणं, बंधो ओहेण तत्थ वीस सयं / तित्थयराहारगद्गवजं मिच्छम्मि सतरसयं // नरयतिग जाइथावरचउ हुंडाऽऽयवछिवट्ठनपुमिच्छं / सोलंतो इगहियसउ, सासणि तिरिथीणदुहगतिगं // अणमज्ञागिइसंघयणचउ निउज्जोय कुखगइत्थि ति / पणवीसंतो मीसे, चउसयरि दुआउय अबंधा // सम्मे सगसयरि जिणाउबंधि वइर मरतिग बियकसाया। उरलदुगंतो देसे, सत्तट्ठी तियकसायंतो // तेवट्ठि पमते सोग अरइ अथिर दुग अजस अस्सायं / वुच्छिज छच्च सच व, नेह सुराउं जया निहूँ // गुणसहि अप्पमचे, सुराउबंधं तु जइ इहागच्छे / अन्नह अट्ठावन्ना, जं आहारगदुगं बंधे // अडवन्न अपुवाइमि, निद्ददुगंतो छपन्न पणभागे / मुरदुग पणिदि सुखगइ, तसनव उरल विणु तणुवंगा // समचउर निमिण जिण वनअगुरुलहुचउ छलंसि तीसंतो। चरिमे छवीसबंधो, हासरईकुच्छमयभेओ // अनियट्टिभागपणगे, इगेगहीणो दुवीसविहबंधो। पुमसंजलणचउण्हं, कमेण छेओ सतर सुहुमे / चउर्दसणुच्चजसनाणविग्घदसगं ति सोलसुच्छेओ। तिसु सायबंध छेओ, सजोगि बंधतुणंतो य // (गाथा 3-12) इति।। एतासां दशानामपि गाथानां व्याख्यानं कर्मस्तवटीकातो बोद्धव्यम् / इत्योषवन्धः / इह कर्मस्तवोक्तगुणस्थानकबन्धाद् नरतिरश्चां मिश्राऽविरतगुणस्थानकयोरयं विशेषःकर्मस्त मिश्रगुणस्थानके चतुःसप्ततिः अविरतसम्यग्दृष्टिगुणस्थानके सप्तसप्ततिः तिरश्चा पुनर्मनुष्यंद्विकौदारिकद्विकवज्रऋषभनाराचसंहननरूपप्रकृतिपञ्चकस्य बन्धाभावाद् मिश्रगुणस्थानके एकोनसप्ततिः, अविरतसम्यग्दृष्टौ सुरायुःक्षेपे सप्ततिः, नराणां तु मिश्रे एकोनसप्ततिः, अविरतसम्यग्दृष्टौ तीर्थकरनामसुरायुःक्षेपे एकसप्ततिः / अस्यां च एकसप्तौ यदि मनुष्यद्विकौदारिकद्विकवज्रऋषभनाराचसंहननप्रकृतिपश्चकं नरायुष्कं च क्षिप्यते तदा कर्मस्वबोका सप्तसप्ततिर्मवत्यविरतगुणस्थानके / तथा कर्मस्तवे देशविरतगुणस्थानके या सप्तपष्टिरुक्ता सा तिरश्चां जिननामरहिता षट्षष्टिर्देशविरतगुणस्थाने भवति / प्रमत्तादीनि गुणस्थानानि तिरश्चा न सम्भवन्ति / नराणां तु सर्वगुणस्थानकसम्भवेन देशविरतादिगुणस्थानकेषु कर्मस्तवोक एवं सर्वोऽप्यन्यूनाधिक ओघबन्धो वाच्यः / ततश्च पर्याप्तनराणां सामान्येन बन्धे विंशत्युतरशतं प्रकृतीनां प्राप्यते, तेषामेव मिथ्यादृशां सप्तदशोत्तरशतम्, सासादनानामेकोतरशतम् ,

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