________________
चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्वारः १५ तेअंगबाहिरना बेप्रकार, आवश्यक १ घने बावश्यकव्यतिरिक्त २ तिहां साधुश्रावकने सामायिकादि बप्रकार, अवश्यकर, तेनुनाम आवश्यक सूत्र कहीएं अने जे आवश्यकथी जूदोसिद्धांत तेने आवश्यकव्यतिरिक्त सूत्र कहीएं ते यावश्यकव्यतिरिक्तना बे नेद एक कालिक १ बीजो नत्कालिक २ तिहां कालवेलाए प्रथम बेहली पोरसायेंज नणाय नत्तराध्ययनादि तेने कालिकसूत्रकहीएं बीजांकालवेलारहित जणाय दशवैकालिकादिक ते नत्कालिकसूत्र कहीएं एमज श्रीनंदीसूत्रमा सम्यक्श्रुताधिकारें तथा श्रीपाखिसूत्रमा सूत्रनत्कीर्त्तनाऽधिकारे जे जे सूत्र कह्यां ते ते सर्वे सूत्रागम कहीएं ॥ तथावली विधिसूत्र १.न्द्यमसूत्र ५ नयसूत्र ३ वर्णकसूत्र ४ नत्सर्गसूत्र ५ अपवादसूत्र ६ तदुनयसूत्र ७ तिहां प्रथम श्रीदशवैकालिकना पंचमअध्ययनमा कडं ॥ संपत्तेनिक्खुकालंमि असंनंतोषमुचिन इम्मेणकम्मजोगेणं नत्तपाणंगवेसए १ ॥ इत्यादिक विधिसूत्र कहीएं तथा श्रीनत्तराध्ययनना दशमा अध्ययने कह्यु ॥ दुमपत्तयपंमुयएजहा निवमइराइगणाणमच्चए एवंमणुयाणजीवियं समयंगोयममापमायए ॥ इत्यादिक नयमसूत्र कहीएं अने नरकादिकनेविषे मांसरुधिरादिकवर्णवि कहेवां यथा नत्तराध्ययने मृगापुत्रअध्यय