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परिछेदः १३
नथी, एवी पर आशंकानो उत्तर कहे.
ए पूर्वोक्त तप जे बे ते मार्गानुसारीपणु प्राप्त थवानुं कारण बे; एटले वांडा सहित तप करवाथी नजीवने मार्गानुसारीपणुं प्राप्त थाय ने मार्गानुसारीपणु बे मो मार्ग प्राप्तिनुं कारण बे, ने जे मोक्ष मार्ग प्रातिनुं कारण बे ते उपचारथी मोक्षमार्गज कहेवाय बे: ते वा सहित तप मार्गानुसारीपणानुं कारण शाथी कहेवायवे, हंदि शब्दले ते उपदर्शन अर्थे बे, एटले पूर्वोक्त वार्त्ता नलखाववाने अर्थे बे. कोइक शिष्य वांबा सहित अनुष्टानमां प्रवृत्त थया थका विनयादि गुण शीखवाथी जीवने अनुरूप थवाथी " निरनिष्वंग ” अर्थात् वा रहित अनुष्ठान प्राप्त थाय बे ए बे गाथानो अर्थः ॥ ए पाठमा जोला जीवाने पूर्वोक्त देवतानुना तप प्रमुख करवा का ते मार्गानुसारी प्रवृतिमां प्रवर्त्तावी लौकीक मिथ्यात्व बोडाववाने कह्यावे, पण सद्बुदिवाला प्राीने करवा कह्या नथी तोपण चतुर्थ स्तुति नि - र्णय पृष्ट १३८ मां * तत्ववेत्तायोकोजी पूर्वोक्तदेवतायोंका तपादिकरनानिषेधनही कराहे, किंतुइसलोकके अर्थ न करना परंतु मोके वास्ते करे तो निषेध नही ॥ इत्यादि पूर्वापर विरुद्ध ग्रात्मारामजी यानंद विजयजीनुं लखवं तदन सत्य केमके चतुर्थ स्तुति निर्णय ष्टष्ट १४८