Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 491
________________ ॥७॥ ६ए६ परिजेदः १६ गहनामविदितं तदा बनौ जातःपंचदशे तिथाविव ततःपट्टे प्रनानासुर, प्रालेयांशुनिनो वचाशुनिकरौर्दममलं द्योतयन्; नाना चंति प्रतापतपनःसूरिःसदाश्चर्यकत्, तन्नाम्नापि सुधर्मचंतियुत्सुझाः समाचदते ॥६॥ चूडामणेर्जगति सर्वजितेंश्येिषु, पट्टे तु षोडश इहार्यसमंतजज्ञत्; सूरेश्चतुर्थमिति नाम वने निवासात् , प्रज्ञाःसुधर्मवनवासि तदामनांत सर्वदेवनतपादपंकजः, सर्वदेवनरनाथनाथितः; सर्वदेववपुषि निस्पृहस्ततः, सर्वदेव इति सूरिराडनूत् पट्टकेऽर्कगुणितत्रिके ३६ ततो, ऽकारि सूरिपदवी महावटे; तेनगनुगतपंचमाह्वयं, श्रीसुधर्मवटगड इत्यनूत् ॥ चतुश्चत्वारिंशे विजयिनि महापट्टनिवहे, जगन्शयोऽनृत्प्रबलवरविद्यो गणधरः; सदा चाम्लाऽम्लानो प्युदयपुरराजस्य सदासि, विजिग्ये वादीन्शननुचतुरशीत्यूहकलया ॥१०॥ ॥७॥

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