Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
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चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंको झारः ६७१ तिनी आचरणा आचार्योंए करी, त्यांची पूजोपचारादिकमां स्वस्त नपयोग दानार्थ गुण वर्णनात्मक स्तुति अने शांति पूजा प्रतिष्ठादि कार्यमां विघ्न विनाश नपयोग दान गुण वर्णन स्तुतिए करी देवादिकना वर्णवाद पूर्वोक्त ग्रंथोना अनिप्रायथी संनव थाय , पण पूर्वोक्त कारण विना संभव थता नथी, इहां वनी कोइ कहेशे जे समदृष्टि देवोना वर्णवादमां सुमनबोधिपणुं थाय तो पूजादि कालसमय वर्जिने देवोना वर्णवाद करवामां कांइ दोष प्राप्त थाय नहीं, ते माटे अकारणे पण कर. वामां दोष नथी, तेने कहिए के हे देवाणुप्पिया! चैत्यवं. दनादि आवश्यक कृत्यमां अरिहंतादिकनाज गुण वर्णन डे तोपण महानिसीथ सूत्रना सातमा अध्ययनमांकालवेला समय नलंधिने प्रविधिए चैत्यवंदनादि करवामां दोष प्रतिपादन करयो बे.
ते पाठ॥ सेनयवं कयरेतेआवस्सगे गोयमाणं चिश्वं दणादनसेनयवंकम्हाग्रावस्सगे असश्पमायदोसेणं का लाइक्कमिएश्वा वेलाइक्कमिएश्वा समयाइक्कामएश्वाथ पोवनतपमतेहिंवा अविहीएसमगुछिएवाणोणं जहुतया लंविहीएसम्मंअणुछिएश्वाअसंपठिएश्वा विळपहिएश्वा अकएश्वा पमाएश्वा केवश्यं पायचितमुवइसधागायमा जेके निरकुवानिकुणीवा संजयविरयपडिहयपच्चकाय
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