Book Title: Chandra Pragnaptisutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 681
________________ चन्द्राप्तिप्रकाशिकाटीका० प्रा०१९ सू.१ चन्द्रसूर्यग्रहगणनक्षत्रतारारूपाणां संख्यादिकम् ६५३ बालसंठाणसंठिए । ता लवणे णं समुद्दे केवईए चक्कवालविक्खंभेण ? केवइए परिक्खेवेणं आहिए ? ति वएज्जा ? ता दो जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं, पण्णरस जोयणसयसहस्साई एक्कासीई च सहस्साई सयं च उणयालं किंचि विसेसूर्ण परिक्खवेणं आहिएति वएज्जा । ता लवणेणं समुद्दे केवइया चंदा पमासिसुवा ३ एवं पुच्छा जाव केवइयाओ तारागण कोडि कोडीओ सोभं सोभिंसुवा ३ ? ता लवणेणं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासिसुवा ३ जहा जावाभिगमे जाव ताराओ चत्तारि सूरिया तसुिवा ३ वारस णक्खत्तसय जोयं जोइंसुवा ३, तिण्णिवा घण्णा महागहसया चारं चरिंसुचा : दो सयम्सा सहि च सहस्सा णव य सया तारा गण कोडि कोडोणं सोभं लोभिसु वा गाहाओ--पण्णरस सय सहस्सा एक्कासीयं सय चऊताल । किंचि विसेसेगृणा लवणोदहिणोपरि पखेचा ॥१॥ चत्तारि चेव चंदा, चत्तारि य सूरिया लवणतोये । वारस पक्खत्तसय, गहाण तिण्णेव वा चण्णा ॥२॥ दो चेव सयसहस्सा, सन्तष्ठिं खलु भवे सहस्त्राई। णव य सया लावण जले, तारागणकोडि कोडीणं ॥३॥" ता लवणसमुहं धायर्ड संडे णामं दीवे पट्टे वलयागारसंठाणसंठिए सचओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्टइ । ता धायई संडेणं दीवे किं समचक्कवालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ? ता समचकवालसंठिए णो विसमचकवालसंठिए । ता धायई सडे दीवे केवदए चकवालविक्खंभेणं, एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोइसं जहा जीवाभिगमे जाव ताराओ केवडए परिक्खेणं आहिए तिवपज्जा ? ता चत्तारि जोयण सयसहस्साई चक्कवाल विक्खंमेणं उगतालीसं जोयण सयसहस्साई दस य सहस्साई णव य पगठे जोयण सए किचि विसेसूणे परिक्खेवेण आहिए तिचपज्जा । धायई सडेणं दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा ३ पुच्छा तहेव, धायई संडेण दोवे वारस चंदा पभासिसु वा ३ वारस सूरिया तवेंसु वा ३, तिण्णि छत्तीसा णक्खत सया जोयं जोइंसु वा ३ पगं छप्पण महग्गहसहस्सं चारं चरिसु वा ३, अट्ठमय सहस्सा तिण्ण सहस्साई सत्त य सयाई तारागण कोडि कोडीणं सोभं सोभिसु वा ३ गाहाओ--"धायइसंडपरिरओ ईताल दसुत्तरा सय सहस्सा । णव य सया एगट्ठा, किचि विसेसेण परिहीणा ॥१॥ चउवीस ससिरविणो, णक्खत्त सया य तिषिण छत्तीसा पगं च गहसहस्स, छप्पण्ण धायई संडे ॥२॥ अटठेव सयसहस्सा, तिणि सहस्साई सत्तय सयाई । धायइसंडे दीवे तारागण कोडि कोडोण ॥३॥ ता धायइसंडं णं दीवं कालोएणं णामं समुद्दे पट्टे वलयागारसंठाणसंठिए सव्वी समता संपरिक्खित्ता णं चिट्ठइ । ता कालोए णं समुद्दे कि समचक्कवाल संठिए विसमचक्कवाल संठिए ? समचक्कवालसंठिए णो विसमचक्कवालसंठिए । एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोइसं च जहा जीवाभिगमे तहा भाणियव्वं जाव ताराओ

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