Book Title: Chand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 306
________________ २३६ चतुर्थ उवास. में जे निमित्त प्रकास्युं हो तेह खोटुं कहीए नही होये, करमुज व चन प्रमाण ॥ स्वछी प्रेमला लबी हो, निसुणीने हरखी चित्तमां, दीधुं दान विहाण ॥ कु० ॥ १३ ॥ नैमित्तिकने विस? हो अनुमति लेश तातनी, पिंजर कीधुं संग ॥ थोडीशी सहीनथीहो पुंडरगिरि उपर चढी, प्रेमला परम उमंग ॥ कु० ॥ १४ ॥ अर्थ ॥ में जे जोश जोइने तने वचन कह्यांने ते रतिमात्र पण असत्य अवानां नथी. मारां वचनने प्रमाण करजे. पनी प्रेमलालजी स्वेवा पूर्वक वर्तती ते निमित्तीयानां वचनो सांजली मनमां बहुज हर्षपामी अने जोशीने तेणे सारीरीते दणा आपी.॥ १३ ॥ पळी निमित्तीयाने विदाय करीने अने पोताना पितानी आझालश्ने पांजरूं पोताना हाथमां लीg; अने थोडी सखीउनी साथे पुंडरगिरि उपर प्रेमला लब्बी अत्यंत उमंगजर युगादिनाथनी सेवा करवामाटे चढी. ॥ १४ ॥ कर उपर लश् धरी हो पिंजरथी काढी कूकमो, नृप पुत्री म तिमंत ॥ जेम जेम गिरिवर निरखे हो मन हरखे तेम तेम पंखीयो, लेखे दिवस गणंत ॥ कु० ॥ १५ ॥ देहरो शिवपद शेहरो हो निरखी प्रेमला, नेट्या देव युगादि ॥ सारी अष्ट प्रकारी हो जिन पूजा ल बीए करी, वारी सयल विषाद ॥ कु० ॥ १६ ॥ अर्थ ॥ पांजरामांथी पदीने काढीने बुद्धिशाली एवी प्रेमला लबीए पोताना हाथ उपर धारण कर्यो. पक्षीराज जेम जेम गिरिराजने निरखे ने तेम तेम पोताना मनमां बहुज हर्ष पामेळे अने आजनोज दिवस मारे तो लेखे थयो एम माने . ॥ १५॥ मोक्षपदना शिखर समान देरासरने जोतांज प्रेमला लली अतिहर्षवंत श्रश्. तेणीए श्री युगादि देवना दर्शन कर्या. वली सर्व मनना संताप दूर करीने श्री जिनराजनी अष्ट प्रकारी पूजा बहुज नाव पूर्वक करी. ॥ १६ ॥ दीरडं दरिशण मीठडं हो पंखीमे प्रथम जिणंदनु, सफल कयों अवतार ॥ पांचमी ढाल प्रकाशीहो ए मोहने चोथा उबासनी, पुण्य सदा सुखकार॥कुण॥१७॥ अर्थ ॥ वली पदीए पण प्रथम जिनेनुं अत्यंत मी एवं दर्शन करीने पोतानो अवतार सफल को. आ प्रमाणे चोथा उल्लासनी पांचमी ढाल कही. कवि मोहन विजयजी कहे जे के पुण्यज सदा सुखने करनार . ॥१७॥ ॥दोहा॥ सेवी मरूदेवी सुतर्नु, वीरस्नुषा बहुलाव ॥ आवी देहरा बाहिरे, कर 'धरी पंखी राव ॥१॥प्रति जिन मंदिरमा जश, नेट्यां बिंब अपार ॥ नक्ति युगति निज शक्ति वश, कर्यो सफल अवतार ॥२॥ For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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