Book Title: Chand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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चंदराजानो रास.
ए जेथी राजा अत्यंत आश्चर्य पाम्यो ॥ १३ ॥ देवताए कडं के हे आना नगरीना स्वामी जेवी इंज महाराजे तमारी प्रशंसा करी तेवाज कमलना जेवा प्रसन्न मुखवाला तमे शियलवंत गे एवी मने खात्री अश्.१४
जननी धन्य जे तुज जण्यो, पुत्र रत्न शीलवंत ॥ मो० ॥ न बढ्यो मुज माया थकी, धीरज गिरथी अनंत ॥ मो० ॥ खून ॥ १५॥ कुसुम वृष्टि देवेकरी, नृपना प्रणमी पाय ॥ मो० ॥ सुर पहोतो निज थानके,
हर्ष हृदय न समाय ॥ मो० ॥ खू० ॥ १६ ॥ अर्थ ॥ तमारी माताने धन्य ने जेणे आवा शियलवंत पुत्र रत्नने जन्म आप्यो. तमे मारी रचेली मायाना फंदमां न फस्या तेथी तमाळं धैर्य मेरू पर्वतश्री पण घणुं मोटुं ॥ १५॥ पनी देवताए तेना उपर पुष्पनी वृष्टि करी अने राजाने नमस्कार करी अंतःकरणमां अत्यंत हर्ष धारण करतो देवता पोताने स्थानके पहोंच्योः ॥ १६॥
श्राव्यो प्रेमला सन्निधे, तत्क्षण चंद नूपाल ॥ मो० ॥
चोथा उसासे अढारमी, मोहने पत्नणी ढाल ॥ मो० ॥ ॥ १७ ॥ अर्थ ॥ चंदराजा पण तरतज प्रेमला लची पासे आव्या. ए प्रमाणे चोथा उलासमां अढारमी ढाल मोहनविजयजीए कही. ॥१७॥
॥ दोहा ॥ प्रात हु उदयो तपन, चंद नूप कुल नाण ॥ शीख लही मुख बेहेननी, थाना कयुं प्रयाण ॥१॥ साध्या पंथे जनपद घणां,
प्रणमाव्या नृप कोनि ॥ परणी तरूणी सात,सेंदेव वधूनी जोमि ॥२॥ अर्थ ॥ प्रातःकाल यो अने सूर्योदय थतांज पोताना कुलने विष सूर्य समान एवा चंदराजाए ली. सावती बेहेननी रजा लश् आलापुरी तरफ प्रयाण कर्यु ॥१॥ रस्ते जतां अनेक देशोने साधतां कोडो राजाने ताबे कर्या. वली देवांगना सदृश एवी सातसो स्त्री साथे पाणि ग्रहण कर्या. ॥२॥
एम अधिके श्रागंबरे, वाजते विजय निसाण ॥ दीग नयणे अनुक्रमे,श्राजापुरी अहिगण ॥३॥ पामी शुधि गुणावली,हरव्यो
सुमति प्रधान ॥ पुर अधिकारी प्रमुखथी, नेट्यो शशि राजन ॥४॥ अर्थ ॥ एम अत्यंत आडंबर सहित विजयना मंका वगडावतां अनुक्रमे तेचैनी दृष्टिए आनापुरीनां ऐंधाण प्राप्त थयां ॥३॥ गुणावली राणीने समाचार मलतांज ते अने सुमति प्रधान अत्यंत हर्ष पाम्यां अने नगरनी प्रजा तथा सर्व अधिकारी ममलने साये लश् मोटा आडंबर सहित सामैयुं लश् आवीने चंद रायनी सर्वेए जेट लीधी. ॥५॥
सनमानी संघली प्रजा, चंदे लह्यो आनंद ॥ कुशल प्रश्न पाम्या सकल, उदित उल्हास अमंद ॥५॥ घर घर थयां वधामणां, प्रगट्यो प्रेम अंकूर ॥ थर फरी श्राजापुरी, श्राव्ये चंद सनूर ॥ ६ ॥
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