Book Title: Chand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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एस
चतुर्थ उदास. जाणे नही, नगणे नद अनद ॥ ला० ॥ द्वेष वहे जिन धर्मथी,
एह मिथ्यात्व प्रत्यद ॥ ला ॥ ज० ॥६॥ अर्थ ॥ तेने तिलकमंजरी नामनी कट्पवृदनी मांजर जेवी पुत्री हती. तेणीए बाल्यावस्थाथी वैष्णव मत उपर राग धारण को हतो ॥५॥ ते धर्मके अधर्म कां पण जाणती न होती; तेम नद अन्नक्षनो विचार पण करती नहोती. जिनधर्म उपर क्षेष राखती हती. आ प्रमाणे तेणीने प्रगट मिथ्यात्व प्रवर्ततुं हतुं. ॥ ६॥
चंदन विमुखी मक्षिका, थाए मतीने नूल ॥ ला० ॥ तो स्युं कां घटी गयुं, चंदन केलं मूल ॥ ला ॥ ज०॥ ७॥ किणही तेम कुमतीए, निंद्यो जो जिन धर्म ॥ ला० ॥ जिन मतनुं बिगडयुं किस्युं, सामुं ते बांधे कर्म ॥ ला०॥ ज०॥॥
अर्थ ॥ जेम बुजिना भ्रम की माखी चंदन वृक्षथी विमुख श्रश्चंदन वृक्षने तजीदे तेश्रीशुं चंदनना वृदनी किंमतमां न्यूनता थाय ? नथीज अती-तेम कोइ मनुष्य माठी बुद्धिथी जिन धर्मनी निंदा करे तो शुं तेनी निंदाथी जिनधर्मने नुकशान थाय ने ? बिलकुल नुकशानी अतीज नथी. उलटां ते माग कर्मनो बंध करे .॥७॥ ॥
मये सींची जेम विषलता, नृप पुत्री वधे तेम ॥ ला ॥ लागे न जिन मत वासना, लसणमें मृग मद जेम ॥ ला० ॥ ज० ॥ ए॥ पुत्री सुबुछि प्रधाननी, रूपमती अनिधान ॥ ला ॥ साथे को स्तन
पानने, समकित रसनुं पान ॥ ला ॥ ज० ॥ १० ॥ अर्थ ॥ जेम विष वेली, मदिराना सिंचनश्री तेम मिथ्यात्वना बोध रूप जलथी राजानी पुत्र मिथ्यात्वमां वृद्धि पामी. तेथी खसणमा जेम कस्तूरीनी सुगंध प्रवेश करे नहीं तेम तेणीना अंतःकरणमां जिनमतनी वासना लागी नही ॥ ए॥ राजाने सुबुद्धि नामनो प्रधान हतो. प्रधानने रूपमती नामनी पुत्री हती. तेणी ए स्तनपाननी साथेज समकित रसनुं पान कर्यु हतुं. ॥१०॥
कल्पलता पीयूषथी, वाधे तेम वधे तेह ॥ ला ॥ साध्वी संगतिथी थयो, शास्त्राच्यासनो स्नेह ॥ लाज॥१९॥ जीवादिक नवतत्त्वना, धार्या हृदये नेद ॥ ला ॥ जिन पूजादिकने विषे, न धरे मनमा खेद ॥ ला ॥ ज० ॥ १२ ॥ अर्थ ॥ जेम कल्पवृक्षनी वेलि अमृत सिंचनश्री तेम ते प्रधान पुत्री सम्यग् दर्शनमां वधती हती. तेणीने साधवीऊना सत्संगथी शास्त्रना अन्यास उपर प्रेम वध्यो ॥ ११ ॥जीव-अजीव-पुण्य-पाप-श्राश्रवसंवर-निर्जरा-बंध-मोद-ए नव तत्त्वना विस्तारश्री नाव तेणे हृदयमां धारण कर्या अर्थात् नव तत्त्वनुं विज्ञान श्रयु. जेथी जिन पूजा प्रमुख कार्यो खेदविना अत्यंत हर्षथी करवा लागी. ॥ १२॥
साधु तथा साध्वी प्रते, जो वहोरावे आहार ॥ ला ॥ तो मंत्रीनी पुत्रिका, नोजनथी व्यवहार ॥ ला० ॥ ज० ॥१३॥ नूप सुता मंत्री सुता, एक दिन लि. खित प्रत्नाव ॥ ला॥ बाल क्रीमा करता थकां,बेहुनो हु मिलाव ला॥ज०१४॥
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