Book Title: Bhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Author(s): Muniratnasuri, Vijaykumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
View full book text ________________ // 505 // | सेवकानां निजप्रभोः॥४३॥ नारकाणामपि सौख्यं तदानीं भविता क्षणम् / प्रभाववैभवं तीर्थकृतां हि वचनातिगम् // 44 // तदा मित्रं | चरित्रस्य तुर्यज्ञानं जगत्पतेः / उत्पत्स्यते नरक्षेत्रनृमनोभावदर्शकम् // 45 // सुरासुरनरेन्द्रेषु जिनं नत्वा स्वमास्पदम् / यातेष्वस्ता|चलगुहां श्रयिता भानुमानपि / / 46 / / नवैस्तपोधनैः स्वामी राज्यवत्संयमेऽपि तैः / वृतः स्थास्यति तत्रैव कायोत्सर्गस्थितः पुनः / अममस्वा |मि केवल॥४७॥ततश्च राजतीं शुक्तिमिव लेखां सुधारुचेः / उदस्य विशदज्योत्स्नां श्रीखण्डस्तबकाश्चिताम् // 48 // रजनी कामिनी सन्ध्याराग ज्ञान-: कौसुम्भशालिनी / ढौकयिष्यते बर्द्धयितुं जिन मोहजयोद्यतम् // 48 // लक्ष्मीपुरे परे चाति गृहे विजयभूभृतः / पायसेन प्रभुः कर्ता के | स्वरूपम् पारणं मुक्तिकारणम् // 50 // दातुः पुण्यमिव व्योग्नि श्लाधिता दुन्दुभिध्वनिः / ततः कोट्यः पतिष्यन्ति हेम्नश्वार्द्धत्रयोदशाः // 51 // | देवाः सन्निपतिष्यन्ति हर्षादातुर्दिदृक्षया / भाविनी सुरभि मिर्गन्धाम्बुसुमवृष्टिभिः॥५२॥ चेलोच्छ्रयच्छलाद्दातुः कीर्ति च दिवि षद्गणः / दण्डैर्हस्तैरिवोदस्तैयाँ सुख प्रापयिष्यति // 53 // प्रभोः पदयुग्मस्थाने श्रीमान् विजयभूपतिः / रत्नैः पीठं कारयिता नित्य | पूजयिताऽपि च // 54 // छद्मस्थो भगवांस्तस्मादऽभ्रान्तःस्थांऽशुमानिव / विहरिष्यत्यनियतस्थायी ग्रामपुरादिषु // 55 / / अत्यन्तसुकु| मारोऽपि स तीक्ष्णे तपसि स्थितः / तिग्मज्योतिर्मण्डलान्तःस्थास्नोधर्ता श्रिय विधोः // 56 // पश्चादऽपश्यतस्तस्य त्यक्तां वैषयिकी | | भुवम् / सिंहसंहननस्यापि सिंहो नैवोपमा गमी // 57 // शान्ताशेषमदस्थानस्याऽस्य भद्रोऽपि कुञ्जरः / न साम्यलेशमप्यास्तां मद* स्थानविंसंस्थुलः॥५८॥ मासद्वयं विहृत्यै छद्मस्थोऽममतीर्थकृत् / व्रतस्थानं पुनर्गन्ता सहस्राम्रवणाभिधम् // 59 / / तत्र जम्बुद्रुम-* | तले कृतषष्ठतपोविधिः / षष्ट्यां सितायां पौपस्योत्तरभद्रपदासु भे // 60 // अपूर्वकरणेनाशु क्षपकश्रेणिमीयुषः / प्रभोर्घातिक्षयादुत्पत्स्यते | // 505|| केवलमुज्वलम् // 6 // युग्मम् / / दिशः प्रसादं प्राप्स्यन्ति सुखा वास्यन्ति वायवः / भविष्यति क्षण सौख्यं तदा श्वभ्रजुषामपि // 62 //
Loading... Page Navigation 1 ... 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272