Book Title: Bhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Author(s): Muniratnasuri, Vijaykumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
View full book text ________________ श्रीअमम // 508 // तजिनवैभवम् / / 1 / / नियंत्रणा न कस्यापि विकथा च न वत्स्यति / मिथो न वैरिणां वैरं न च भीनच मत्सरः // 2 // तत्र निःस्वम- जिनेशहेभ्यानामगरीयोगरीयसाम् / मिथो भविष्यन्त्यौचित्यादऽवस्थितिनतिक्रियाः // 3 // उद्यानपालतः श्रुत्वा शतद्वारपुरेश्वरः / ज्ञानोत्सवं चरित्रम्। निजपितुरममस्वामिनः प्रभोः // 4 // प्रीतस्तस्म द्रव्यलक्षाः प्रदाया त्रयोदशाः / ससेनान्तःपुरामात्यपौरस्तत्रैत्य सत्वरम् / / 5 / / प्रद- शतद्वारपुरक्षिणय्य भक्त्या त्रिजिनं शक्रस्तवेन च / स्तुत्वा नत्वा च शक्रेण सहेति स्तोष्यते पुनः // 6 // त्रि०वि०।। पूर्व प्रकाशयन्नर्थान् पश्चा | शः कर्ता द्भिदस्तमस्ततिम् / अस्नेहपूरस्त्वं नाथ दीपो विश्वगृहे नवः / / 7 / / दर्शयस्तारकश्रेणिं विमुश्चन्नरुणोदयम् / अवामादक्षिणं लोकलोचनं | स्तुतिम् अममजिने| त्वं नवः प्रभो ! |8|| सेवकानां संमुखीनाक्षरया निजमुद्रया / पदं समर्पयनित्यं देव त्वं नायको नवः / / 9 / / खरं जगत्त्रयादीय श्वरोधर्म* मानसारोपि सर्वदा / अभिन्नमुद्रस्त्वं रत्नकोशः स्वामिन्नवः क्षितौ // 10 // जीवो रुद्धेन्द्रियद्वारादेहगेहाद् विशत्ययम् / अप्यऽयोगी देशना मुक्तिपुरं यत्सा योगीन्द्र ! ते कला // 11 // तवोपदेशपीयूषगण्डूपादेव कौतुकम् / अनादियोगैर्दुःकर्मरोगैः प्राणी विमुच्यते // 12 // परानन्दसुखास्वादो देव त्वदर्शना| दपि / ममाऽभूत्तदितोऽन्यत् किं ? नाथ नाथामि सम्प्रति // 13 // अममस्त्वं न नाम्नैव महिम्नाप्यसि यद्यपि / तथापि नाथाऽनाथ*स्य मम कुर्याः कृपां सदा // 14 // स्तुत्वेत्यासीनयोः स्वर्गाधीशक्षोणीशयोस्तदा / देशना स्वामिनः श्रोतुं भाविन्युत्कण्ठिता सभा * * // 15 / / सर्वसत्त्वस्फुरद्भापापरीणामकलापुषा / अनन्तगुणयाऽप्युच्चैः पञ्चत्रिंशद्गुणत्विषा // 16 // आयोजनविहारिण्या वाण्या रूपै खिभिः समम् / पुण्यप्रदेशनां कर्त्ता देशनां भगवानिति // 17 // अस्मादसारात्संसारात् क्षारादिव पयोनिधेः / गृहीत सुधियः सारं धर्म देवाः सुधामिव // 18 // सम्यक्त्वेनैव धर्मोऽपि सौभाग्यं लभतेतराम् / ताम्बूलेनेव शृंगारोऽलंकारो मणिना यथा // 19 //
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