Book Title: Bhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Author(s): Muniratnasuri, Vijaykumudsuri
Publisher: Manivijay Ganivar Granthmala
View full book text ________________ सने / प्रेक्ष्य सूरस्य देवेन्द्रश्चित्तेऽत्यर्थ चमत्कृतः // 9 / / प्रतिग्रहेऽस्य सानीकमनीकाधिपतिं निजम् / नगमेषिणमादिक्षदविलक्षम॥५१९।। | रिक्षये // 10 // युग्मम् / / सोऽथ स्वसेनया व्योम्नोऽवातरत् सहितः क्षणात् / वर्षन्त्या दिव्यनाराचान् वैर्यन्धकरणान् रणे // 11 // | माययेव त्रिगुणया तयावेष्ट्य द्विपद्धलम् / अवोचत्सकरोत्क्षेपमित्याखण्डलसैन्यपः॥१२॥ रे सौगतगतोऽस्यद्य लक्ष्मसेन विसंशयम् / इन्द्रसेनापतिर्यस्मादागात् सूरप्रतिग्रहे / / 13 / / यद् वीतरागवत् सूरः परसाहाय्यनिःस्पृहः। तेनाऽतिरञ्जितः शक्रः प्राहिणोदिह मां जवात् // 14 // तत्प्रणश्य रणाद् यात मा मृध्वं पशुवद् भटाः / आकण्येति लक्ष्मसेनसुभटाः प्रकटामिमाम् // 15 / / उद्घोषणां प्रण| श्यन्तः क्षोभादन्धंभविष्णवः। एत्याचख्युनिजविभोरेन्द्रीसेनां च दुर्जयाम् // 16 // युग्मम् / / स पलायिष्यति यावत्तावद् दृक्कर्मवजिंतः / बोद्धश्राद्धोगतश्राद्धो बौद्धधर्मेऽभवद् यथा // 17 // अहो आहेतधर्मस्य प्रभावो यदमुं नृपम् / साहाय्यनिःस्पृहं शक्रः सेनान्यं प्रत्यजिग्रहत् // 18 // अहं त्वेवं बौद्धधर्म सेवमानोऽपि तत्कृते / अन्धीभूतोऽपि नो देवैः प्रत्यग्राहिषि कैरपि // 19 // न्यायपक्षेऽथवा late | पक्षपातिनः स्युः सुरा अपि / सूरराजे महाजने मिथ्या वैरायिषि न्वहम् / / 20 // गत्वा तदेनं क्षमयाम्याहतं धर्ममाद्रिये / स्यां। येनात्र परत्रापि सर्वकल्याणभाजनम् / / 21 / / ध्यात्वेत्यर्ध्वमुखः शक्रसेनान्यं नैगमिषिणम् / भक्त्या प्रसादयन्नूचे देवाऽऽदिश करोमि | किम् ? // 22 // पं० कु०॥ नैगमिष्यपि तं कण्ठकुठारव्यक्तभक्तिकम् / हृतदर्प सहादाय पादचारं नभश्चरः // 23 / / उपतस्थे सूरराज विनयेन प्रणम्य च / योजिताञ्जलिरित्यूचे द्युतिद्योतितदिग्मुखः // 24 // युग्मम् / / कस्बया स्पद्धतां ? जैत्रजिननायकसेविना। भूपते ! घुपतिर्यस्य पक्षे संनद्यति स्वयम् / / 25 / / न यत्तवार्हते धर्मे स्थेमा स्थानाधिकरपि / अचालि स्वैः परैर्वापि हिताहितधियो- द्यतैः // 26 // सहस्राक्षः पूरिताक्षस्तेनानन्दाश्रुवारिभिः / त्वद्भक्त्यै मां समादिक्षद्दक्ष ! ब्रूहि करोमि किम् ? // 27 // लक्ष्मसेनः कण्ठ निश्चलता दृष्ट्वा स्वरराजसाहाव्याथे शऋणस्व सेनापतिः प्रेषित: 519 //
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