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मनुष्यो ! सद्गुणथी प्रभु मळता.
राग. आशावरी. सद्गुणथी प्रभु मळता, मनुष्यो!!! सद्गुणथी प्रभु मळता. दुर्गुण दुष्ट व्यसन छे यावत्, तावत प्रभु नहीं मळता; पवनने रोधे प्रभु नहीं मळता, मोहे वधे चंचलता. मनुष्यो!!! १ पूर्ण अहिंसा सत्य पाळतां, सत्य प्रभु झळहळता; परधन पत्थर स्त्री सहु माता, गणता ते प्रभु वरता. मनुष्यो. २ प्रभुनां नामो जपो सहु होये, प्रगटे नहीं ज्ञान समता; भक्ति ज्ञान ने समता प्रगटे, दिल्मां प्रगट प्रभु रमता. मनुष्यो. ३ वेष क्रियाकांड मात्रथी गुणवण, क्यारे न होय सफळता; काम क्रोध लोभ माया टळे तब, प्रगट प्रभु झळहळता. मनुष्यो. ४ अमुक पन्थ मत धर्मने माने, गुण वण नहीं निर्मलता; विनय विवेक सदाचार शुद्धि, शमदमी प्रभु मळता. मनुष्यो. ५ मैत्री प्रमोद मध्यस्थ करुणा, ज्ञाने दुर्गुण टळता; नाम ने रूपनो मोह टळ्या वण, प्रभुना तार्या को न तरता. मनुष्यो.६ मन इन्द्रियने वश करी जेओ, शुद्धचारित्रमा वळता; शुद्धातम प्रभुपद ते पामे, मोहना मार्या न मरता. मनुष्यो. ७ मनवाणी काया पवित्रता, तप संयम आचरता; बुद्धिसागर समता पामे, सर्व जीवो शिव वरता. मनुष्यो.८
मृत्युजीत. अब हम अमर भए न मरेंगे. ए राग. अब हम उतर गए भव पारा, मृत्यु भयकुं निवारा. अब. प्राण तनुका जन्म है मृत्यु, हम है उससे न्याराः आतमका नहि जन्म मरण है, निश्चय ए निर्धारा.
अव. १
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