Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 10
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 161
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३२ लुच्चाइने स्वप्ने न धारे, अधर्म्ययुद्ध न करता रे निंदा मश्करी आळने त्यागे, आर्यपणाने धरतारे. गुण. ११ आर्यों अद्रोही अनार्यों छे द्रोही, आर्यों छे उपकारीरे; नगुरा नगुणा दुष्ट अनार्यो, गुणीउपर अपकारीरे. गुण० १२ स्वतंत्र निर्भय शुद्ध प्रमाणिक, होय ते आर्य पिछानोरे; प्रतिज्ञाभ्रष्ट पवित्र नहीं जे, तेह अनार्य प्रमाणोरे. गुण० १३ मातपितागुरुसंतना भक्तो, आर्यों छे गुणरागीरे मातपितागुरुसंतना द्वेषी, तेह अनार्यो अभागीरे. गुण. १४ ज्ञानी वैरागी ने त्यागी, आर्य एवां नरनारीरे अज्ञानी अतिकामी अनार्यो, अधर्मयुद्धाचारीरे. गुण. १५ च्हावु सहेवू सत्यने कहेg, जूल्म करे न लगाररे अपराधो उपर उपकारो, करता आर्य विचाररे. गुण. १६ स्वार्थे व्हावं सहेवू जाणे, जूल्मअनीतिनुं धामरे; परमेश्वरने पण पीजाता, स्वार्थ न वण बीजुं कामरे. गुण० १७ समता न धारे तेह अनार्यो, करे शुं ? आतमशुद्धिरे; ममतावारे समता धारे, आर्यपणानी बुद्धिरे. गुण० १८ जडऋद्धिमां मोही अनार्यो, आर्यों रहे निर्लेपरे जीवनमरणमां अनार्यो छे मोही, आर्यों न धारे चेपरे. गुण. १९ आर्यों परमार्थे अर्पाता, धरता शुद्धोपयोगरे . मृढअनार्यो स्वार्थमां राता, धरता विषयनो भोगरे. गुण० २० वेषक्रियाजातिअहंकारे, रहे अनार्यों रक्तरे सत्यक्रियागुणधारक आर्यो, बाहिां न आसक्तरे. गुण० २१ धर्मविचाराचारी आर्यो, तपसंयमगुणखाणरे; पाखंडधारीजडनिर्दयजन, पापी अनार्य छे जाणरे. गुण० २२ प्रभुजीवनथी आर्यों जीवे, ज्ञानने चारित्र्यवंतरे । जडजीवनथीं अनार्यो जीवे, दुष्टविचारोना मंत्ररे. . गुण. २३ For Private And Personal Use Only

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