________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४२ अमारूं आतमराज्य मझार्नु.
राग आशावरी वा सारंग. अमारुं आतमराज्य मझार्नु, आतमटि यतां नहि छार्नु ज्यां कोई मोटुं न न्हार्नु....................अमारं. काम क्रोध मान माया न मत्सर, लोभ न रोगर्नु ठा[; कावादावा युद्ध न झघड!, स्वारयनुं नहीं टाणुं. राजा प्रजा नहीं कायदा भीति, मूक नहीं नजराणु; मोहादिकनुं ज्यां न धींगा', ज्ञानानन्द ठिकानु. आधि व्याधि जन्म मरण नहीं, अनंतगुणर्नु खानु बुद्धिसागर आतमराज्यमां, सर्वे सरखा पिछार्नु, .
अमारुं० १
अमारं०२
अपारु. ३
मुक्ति.
सोरठ. साधुमाइ सब कोइ मुक्तिकुं पावे, मनका मोह टलत तष क्षणमें, नरनारी शिव जावे................साधु० हिंदु मुसल्मीन बौद्ध ख्रीस्त हो, गृही त्यागी हो जाये; प्रभु महावीर जिन उपदेशे, मुक्ति है सममावे. साधु० १ राम राम अल्ला जपतां क्या ?, मोह न यदि दूर थावे; शयतान है जिहां तिहां न मुक्ति, मुक्ति है कर हठावे. साधु० २ जड चेतन सब जगकी उपर, समताभाव जो आवे: क्षणमा मुक्ति होती निश्चय, आतम उपयोग दावे. साधु० ३ आपोआप प्रभुकुं समजी, प्रभुजीवन लय लावे: बुद्धिसागर आनंद अमृत, पीके अमर हो जावे. साधु०४
For Private And Personal Use Only