Book Title: Bhagwati sutram Part 02
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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गोयमा! ताहे चेव णं [ग्रंथाग्रम् ९००० से सक्के देविंदे देवराया एगं महं नेमिपडिरूवगं विउच्चति एवं जोयणसयसहस्सं आयामिक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साई जाव अद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खे. वेणं, तस्स णं नेमिपडिरूवस्स उवरिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीणं फासे, तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स बहुमज्झदेसभागे तत्थ णं महं एगं पासायवडेंसगं विउच्चति पंच जोयणसयाई उडे उच्चत्तेणं अट्ठाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं अन्भुग्गयमूसियवन्नओजाव पडिरूवं, तस्स पासायवडिंसगस्य उल्लोए पउमलयभत्तिचित्ते जाव पडिरूवे, तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव मणीणं फासो मणिपेढिया अट्ठजोयणिया जहा वेमाणियाणं, तीसेणं मणिपेढियाए उवरिं महं एगे देवसयणिजे विउच्चइ सयणिज|वन्नओ जाव पडिरूवे, तत्थ णं से सक्के देविंदे देवराया अट्टहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहि य अणि
एहिं नट्टाणिएण य गंधवाणिएण य सद्धिं महयाहयनजाव दिवाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरह ॥ जाहे ४ ईसाणे देविंदे देवराया दिवाई जहा सक्के तहा ईसाणेवि निरवसेसं, एवं सणंकुमारेवि, नवरं पासायवडेहै सओ छ जोयणसयाई उडे उच्चत्तेणं तिन्नि जोयणसयाई विक्खंभेणं मणिपेढिया तहेव अट्ठजोयणिया, तीसे
णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगं सीहासणं विउच्वइ सपरिवारं भाणियचं, तत्थ णं सणंकुमारे देविंदे
देवराया बावत्तरीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव चउहिं बावत्तरीहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि य बाहिं है सणंकुमारकप्पवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे महया जाव विहरइ । एवं जहा
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