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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २
॥६४८ ॥
सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ कालतुल्लए २१, गोयमा ! एगसमपठितीए पोग्गले एग० २ कालओ तुल्ले एगस| मयठितीए पोग्गले एगसमयठितीव इरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुल्ले एवं जाव दससमयद्वितीए तुल्लसंखेज्जसमपठितीए एवं चेव एवं तुल्लअसंखेजसमयद्वितीएवि से तेणद्वेणं जाव कालतुल्लए । से केणणं भंते ! | एवं बुच्चइ भवतुल्लए ?, गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवट्टयाए तुल्ले नेरइयवइरित्तस्स भवट्टयाए नो तुल्ले | तिरिक्खजोणिए एवं चेव एवं मणुस्से एवं देवेवि, से तेणद्वेणं जाव भवतुल्लए । से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए भावतुल्लए ?, गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालस्स पोग्गलस्स भावओ तुल्ले एगगुण| कालए पोग्गले एगगुणकालगवइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ णो तुल्ले एवं जाव दसगुणकालए एवं तुल्लसंखे| ज्जगुणकालए पोग्गले एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालएवि एवं तुल्लअनंतगुणकालएवि, जहा कालए एवं नीलए | लोहियए हालिदे सुकिल्लए, एवं सुभिगंधे एवं दुब्भिगंधे, एवं तित्ते जाव महुरे, एवं कक्खडे जाव लुक्खे, | उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले उदइए भावे उदयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ नो तुल्ले, | एवं उवसमिए० खइए० खओवसमिए० पारिणामिए० संनिवाइए भावे संनिवाइयस्स भावस्स, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ भावतुलए २ । से केणद्वेणं भंते! एवं वुचइ संठाणतुल्लए २१, गोयमा ! परिमंडले | संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणओ तो तुल्ले एवं वट्टे तसे
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१४ शतके ७ उद्देशः द्रव्यादि तुल्यता
सू ५२३
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