Book Title: Bhagwati sutram Part 02
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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अत्रोत्तरं - 'हंता गोयमा !' इत्यादि, 'मणोदववग्गणाओ लद्धाओत्ति मनोद्रव्यवर्गणा लब्धास्तद्विषयावधिज्ञानलब्धिमात्रापेक्षया 'पत्ताओ' त्ति प्राप्तास्तद्रव्यपरिच्छेदतः 'अभिसमन्नागयाओ'त्ति अभिसमन्वागताः तद्गुणपर्यायपरिच्छेदतः, अयमत्र गर्भार्थ :- अनुत्तरोपपातिका देवा विशिष्टावधिना मनोद्रव्यवर्गणा जानन्ति पश्यन्ति च तासां चावयोरयोग्यवस्थायामदर्शनेन निर्वाणगमनं निश्चिन्वन्ति, ततश्चावयोर्भावितुल्यतालक्षणमर्थं जानन्ति पश्यन्ति चेति व्यपदिश्यत इति ॥ तुल्यताप्रक्रमादेवेदमाह -
कइविहे णं भंते ! तुल्लए पण्णत्ते ?, गोयमा । छविहे तुल्लए पण्णत्ते, तंजहा- बतुल्लए खेत्ततुल्लए कालतुल्लए भवतुल्लए भावतुलए संठाणतुल्लए, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चह दवतुल्लए ?, गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दवओ तुल्ले परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दवओ णो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स | खंधस्स दवओ तुल्ले दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दवओ णो तुल्ले एवं जाव दसपएसिए, तुल्लसंखे| जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जप एसियस्स खंधस्स दवओ तुल्ले तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपए सियवइरित्तस्स खंधस्स दवओ णो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेज्जपए सिएवि एवं तुल्लअणतपएसिएवि से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ
ओ तुल्लए । से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ खेत्ततुल्लए २१, गोयमा ! एंगपएसो गाढे पोग्गले एगपए सोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुले एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तओ णो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे, तुल्लसंखेज्जपए सोगाढे • तुल्लसंखेज • एवं तुल्लअसंखेजपएसोगाढेवि, से तेणद्वेणं जाव खेत्ततुल्लए ।
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