Book Title: Bhagwati sutram Part 02
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 662
________________ १४ शतके |१० उद्देशः केवलिसिद्धानां ज्ञान सू ५३८ व्याख्या- जणं केवली णं भासेज वा वागरेज वा णो तहाणं सिद्धे भासेज वा वागरेज वा ?, गोयमा ! केवली प्रज्ञप्तिः दणं सउठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसकारपरक्कमे, सिद्धे णं अणुट्टाणे जाव अपुरिसक्कारपरक्कमे, से अभयदेवी- तेण?णं जाव वागरेज वा, केवली णं भंते ! उम्मिसेज वा निमिसेज वा ?, हंता उम्मिसेज वा निम्मिसेज या वृत्तिः२४ तः२/वा एवं चेव, एवं आउद्देज वा पसारेज वा, एवं ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेएज्जा, केवली णं भंते ! इमं ॥६५७॥ रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणति पासति ?, हंता जाणइ पासइ, जहा णं भंते ! केवली इमरयणप्पभं पुढविं रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभपुढवीति जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते! सकरप्पभं पुढवि सकरपभापुढवीति जाणइ पासइ, एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमा, केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, एवं चेव, एवं ईसाणं एवं जाव अच्चुयं, केवली णं भंते ! गेवेजविमाणे गेवेजविमाणेत्ति जाणइ पासइ, एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेवि, केवली णं भंते ! ईसिपम्भारं पुढवि ईसीपब्भारपुढवीति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं दुपएसियं खंधं एवं जाव जहा णं भंते ! केवली अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधेत्ति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि अणंतपएसियं जाव पासइ ?, हंता जाणइ पासइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति (सूत्रं ५३८)॥१४-१०॥ चोदसमं सयं समत्तं ॥१४॥ EISEASESSORARIS RESEOSAS ॥६५७॥ Hain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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