Book Title: Bandhashataka Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna
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गा.-९७
बन्धशतकप्रकरणम्
आइमसंघयणस्स वि सम्मो मिच्छो व पुव्वगुणजुत्तो । नारायसहियनामस्सेगुणतीसाउ पयडीओ ॥९१८॥ बंधतो उक्कोसं बंधं पकरेड इगुणतीसाए । हिट्ठट्ठाणेसु एय नो बज्झइ तीसबंधे तु ॥९१९॥ बज्झइ नवरं तु तहिं भागाण बहुत्तणाउ उक्कोसो । नो बंधइ लब्भइ ईगुणतीसइबंधगहणंति ॥९२०॥ आहारमप्पमत्तो एत्थ उ अपमत्तभणणओ नियट्टी । अपमत्तो विय गहिओ दोन्नि वि एए उ नामस्स ॥९२१॥ आहारजुयलसहियाओ तीसई पयडीओ निद्दिट्टा । बंधंता आहारगदुगस्स उक्कोसयं बंधं ॥९२२॥ पकुणंतुक्कसजोगा तित्थयरजुयंमि एक्कतीसाए । बंधेवि बज्झइ इमं नवरं भागाण बहुयत्ता ॥९२३॥ नो तत्थ भणिय इईमं सेसपएसुक्कडं ति इह सेसा । पुव्वप्पवन्नियाणं चउपन्ना एत्थ पयडीणं ॥९२४॥ उद्धरिया जा पयडी ताओ पुव्वं थिणद्धितिगमिच्छं । णंताणुबंधिचउगं थीसंद तिरियनरगाऊ ॥९२५॥ नरगदुगं तिरियदुर्ग नरदुगपणजाइउरलजुयलं च । तेययकम्मय आइमरहिया संठाणसंहणणा ॥९२६॥ वन्नाइचउअगुरुलहुउस्सासुवघायपरघायायवं । उज्जोयसुहाविहगइतसबायरपज्जपत्तेयं ॥९२७॥ थिरसुभइयछक्कं चिय सप्पडिवक्खं तहा य दुभगं च । दुस्सरणएज्जजसकीत्तिनिमिण तह नीयगोयं च ॥९२८॥ इय छावट्ठी पयडी उक्कोसपएसियाओ पकरेड़ । मिच्छो तत्थ य मणुदुगुपंचिंदियउरलदुगमेव ॥९२९॥
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