Book Title: Bandhashataka Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 325
________________ बन्धशतक प्रकरणम् सोवि य इगजोगट्ठिओ उक्कडजोगो भवेज्ज तेणुत्तं । घोलणजोगो अट्ठविहबंधगो सव्वलहुविरिओ ॥९५४॥ पत्थुयपयडिचउक्कस्सेगं चउरो व समया जा । जहन्नपएसबंधं पकरेई एस परमथो ॥ ९५५ ॥ पज्जत्तजहन्नजोगो सव्वुक्कोसो वि समयचउगं जा । एसेव कालनियमो उत्तरसुत्ते वि वो ॥ ९५६ ॥ पज्जत्तसन्निजोगो जहन्नो वि हु पज्जअमणजीवस्स । उक्कसजोगाओ वि हु असंखगुणिओ त्ति किर होइ ॥ ९५७ ॥ तो पउरजोगभावा पज्जत्तगसन्निणो न गर्हति । पकयं सुत्ते तह किर बंधइ दुन्नेव अपमत्तो ॥ ९५८ ॥ घोलणजोगी अट्ठविहबंधगो त्ति सपओग्गलहुविरिओ । अपमत्तो बंधंतो नामस्सिगतीसपयडीओ ॥ ९५९॥ जहन्नपएसं बंधइ आहारदुगं ति तीसबंधे वि । एवं बज्झड़ नवरं अप्पा भागा तहिं हवंति ॥ ९६० ॥ इय एक्कतीसबंधग्गहणं अपमत्तसंजयावन्नो । बंधइ आहारदुगं तह पंचासंजयसम्मोति ॥९६९॥ अविरयसम्मो पयडी देवदुगविउव्विजुयलतित्थयरं । पंच इमाओ भवपढमगम्मि समयम्मि वट्टंतो ॥ ९६२॥ जहन्नपएसा पकड़ तत्थ नरो कोइ तित्थयरनामं । बंधिय देवभवम्मी उववन्नो पढमसमयम्मि ॥ ९६३ ॥ मणुयगईपाओगा पुव्वुत्ता नामपयडिओ तीसं । बंधंतो मूलिल्लिगपयडीओ सत्त बंधंतो ॥९६४॥ अविरयसम्मो नियजोगजहन्नविरिओ उ तित्थयरनामं । जहन्नपएसं बंधइ परमिह अइअप्पविरित्ता ॥ ९६५ ॥ गा.-९९ ३०९

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