Book Title: Bandhashataka Prakaranam
Author(s): Vairagyarativijay, Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 326
________________ बन्धशतक प्रकरणम् णुत्तरवासी गेज्झो तह नेरइओ वि तित्थयरनामं । बंधइ नवरं तत्थ य जहन्नजोगो उ एरिसओ ॥ ९६६ ॥ नो लब्भइ तेण तओ नरयुप्पत्तेण नेह अहिगारो । तिरिया नो तित्थयरस्स बंधगा तेण नो गहिया ॥ ९६७॥ मणुया उ भवाइमए समए तित्थयरनामसहियाओ । नामिगुणतीसपयडी बंधंती किंतु तहि अप्पा ॥९६८॥ भागा भवंति तेणिगुणतीसबंधो न एत्थ संगहिओ । तित्थयरसहियनामिगतीसा बंधे जईणेव ॥९६९॥ तत्थप्पं पुण विरियं नो लब्भइ सेसएसु नामस्स । बंधेसुं तित्थयरं न अत्थि तेणुच्चरियनाया ॥ ९७०॥ तीसइबंधो देवस्स चेव भवआइमम्मि समयम्मि । घेप्पड़ तित्थयरस्स उ तह सुरखेउव्वियदुगाणं ॥९७१॥ बद्धतित्थयरनामा नेरइयसुरेहि चविय उप्पन्नो । सत्तविहबंधगो भूयक्कारपभिइणवक्खाणे ||९७२॥ वन्नियरूवं तित्थयरसंजुयं सुरगईइ पाओगं । नामिगुणतीसपयडीनिव्वत्तंतो सपाओगं ॥ ९७३ ॥ अइलहुजहन्नविरिए ववत्थिओ जम्मआइसमयम्मि । पवट्टमाणो मणुओ जहन्नबंधं निवत्तेइ ॥९७४॥ पयडिचउक्कं एयं भवपच्चयओ सुरा व नेरइया । बंधंति नेव तेणिह नाहिगया तह य तिरियाओ ॥ ९७५ ॥ अकम्मभूमिसमुत्था जम्माइमसमयए निबंधंति । एयं नवरं ते सुरगड़जोगडवीसपडीओ ॥९७६॥ पुव्वुत्तसरूवाओ विरयंती न गुणतीसपभिईया । बंधट्टाणा जं ते तित्थयराहारदुगसहिया ॥९७७॥ A A A A A A गा.-९९ ३१०

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