Book Title: Avchetan Man Se Sampark
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ नैतिकता की आधारशिला : काम-परिष्कार दीर्घश्वास का प्रयोग अपने व्यक्तित्व को पहचानने का प्रयोग है, अपने आपको पहचानने का प्रयोग है। श्वास एक माध्यम है-दूसरों को पहचानने का और स्वयं को पहचानने का। हर व्यक्ति में परिवर्तन होते हैं, कुछ स्थूल और कुछ सूक्ष्म । परिवर्तन का चक्र निरन्तर चलता रहता है। ये परिवर्तन श्वास के माध्यम से जाने जा सकते हैं । विचार और अन्तर्भावों में होने वाले परिवर्तन भी श्वास के द्वारा जाने जा सकते हैं। व्यक्ति की पहचान का बहुत बड़ा माध्यम है श्वास। आज इस वैज्ञानिक युग में दूसरों के सूक्ष्म भावों को जानने के लिए अनेक यंत्रों का आविष्कार हुआ है । पुराने जमाने में यन्त्रणाएं देकर अपराधी को अपराध स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता था। अपराधी अगर अपराध स्वीकार नहीं करता तो बात बनती नहीं। अब ऐसे यंत्र विकसित हो चुके हैं कि अपराधी को कुछ करने की जरूरत नहीं है। यन्त्र स्वयं बतला देते हैं कि वह अपराधी सच-सच कह रहा है या झूठ बोल रहा है। ___ इजराइल में एक यंत्र बनाया गया है। उसका नाम है-'माइक्रोवेव रेस्पीरेशन मोनीटर'---यानी अणु प्रबोध, अणुतरंग, भाव प्रबोध । यह यन्त्र आधे मील की दूरी से यह ज्ञात कर लेता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच कह रहा है । यदि व्यक्ति झूठ बोलता है तो श्वास के प्रकम्पनों में अन्तर आ जाएगा। श्वास-प्रबोध-श्वास की अणुतरगें श्वास का अनुमापन कर पता लगा लेती हैं । इससे हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि व्यक्ति के भावों का सम्बन्ध श्वास के साथ कितना जुड़ा हुआ है। जिस प्रकार के मनोभाव होते हैं, श्वास की गति उसी प्रकार की बन जाती है। ___श्वास और भाव परस्पर गुंथे हुए हैं। एक को जानकर दूसरे को जाना जा सकता है। भाव के माध्यम से श्वास को जाना जा सकता है और श्वास के माध्यम से' भाव को जाना जा सकता है । श्वास की गति को समझना बहुत बड़ा विज्ञान है। इससे अतीत और भविष्य को भी जाना जा सकता है और वर्तमान का भी मूल्यांकन किया जा सकता है। श्वास की गति के आधार पर 'स्वर-विज्ञान' का विकास हुआ था ।। व्यक्ति को पहचानने के दो साधन हैं-आकृतिविज्ञान और श्वासविज्ञान । आकृति के आधार पर व्यक्तित्व की पहचान हो सकती है। एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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