Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 8
________________ CONTENTS पं० दलसुखभाई मालवणिया : व्यक्तित्व एवं कृतित्व हिन्दी खण्ड ८६ १०५ ११८ १३७ डा० के० आर० चन्द्र-आचारांग एवं कल्पसूत्र में वर्णित महावीर चरित्रों का ___ विश्लेषण एवं उनकी पूर्वापरता का प्रश्न प्रो० सागरमल जैन ---अन्तकृद्दशा की विषय वस्तु : एक पुनर्विचार मुनि श्री कन्हैयालालजी--चंद्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति का पर्यवेक्षण डा० सुदर्शन लाल जैन--अंग आगमों के विषयवस्तु सम्बन्धी उल्लेखों का तुलनात्मक विवेचन प्रो० भागचन्द्र जैन भास्कर-श्रमण ज्ञान-मीमांसा डा० शिवप्रसाद-बृहद्गच्छ का संक्षिप्त इतिहास डा० काजी अंजुम सैफी-नाट्यदर्पण पर अभिनवभारती का प्रभाव डा० अनुपम जैन एवं डा० सुरेशचन्द अग्रवाल-षट्त्रिंशिका या षट्त्रिंशतिका : एक अध्ययन डा० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी एवं डा० कमलगिरि-विमलसूरि कृत पउमचरिय में प्रतिमाविज्ञान परक सामग्री - डा० मारुतिनन्दन तिवारी एवं डा० कमलगिरि-जैनतन्त्र साधना में सरस्वती डा० अरविन्द कुमार सिंह-चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर के तीन जैन प्रतिमा-लेख प्रमोद कुमार त्रिवेदी -गुजरात से प्राप्त कुछ महत्त्वपूर्ण जैन प्रतिमायें डा० रविशंकर मिश्र-कालिदास की रचनाओं में अहिंसा की अवधारणा डा० नन्दलाल जैन-उग्रादित्याचार्य का रसायन के क्षेत्र में योगदान डा० शिवप्रसाद - संडेरगच्छ का इतिहास डा० अरुण प्रताप सिंह-सूत्रकृतांग में वर्णित कुछ ऋषियों की पहचान डा० दशरथ गोंड-ऋषिभाषित और पालिजातक में प्रत्येक बुद्ध की अवधारणा डा० शिवप्रसाद--आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का इतिहास १४८ १५८ ૧૭ર १७४ १७८ १८४ १९४ २१८ २२७ २४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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