Book Title: Arshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti
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________________ में एक विशिष्ट वाङमय की सेवा कर लेने का एक हार्दिक सन्तोष प्राप्त करूंगा। आज तक प्रकाशित कृतियों के बारे में-- आज तक 'यशोभारती जैन संस्था' की ओर से पू० उपाध्यायजी भगवान् की पन्द्रह कृतियां जो प्रकाशित हो चुकी हैं, उनकी सूची इस प्रकार है-- 1. ऐन्द्रस्तुति, स्वोपज्ञ-स्वरचित टीका, भाषान्तर सहित / 2. वैराग्यरति (मूलमात्र)। 3. स्तोत्रावली सस्कृतकृति, हिन्दी भाषान्तर सहित (स्तुति, स्तोत्र-पत्रादि) 4. काव्यप्रकाश 2, 3 उल्लास की टीका, हिन्दी भाषान्तर सहित / 5. स्याद्वाद-रहस्य बहद टीका। 6. स्याद्वाद-रहस्य मध्यम टीका / 7. स्याद्वाद रहस्थ जघन्य टीका / 8. तिङन्वयोक्ति [प्रारम्भ मात्र] / 6. आत्मख्याति 10. प्रमेयमाला 11. वादमाला द्वितीया . 12. वादमाला तृतीया .. 13. विषयतावाद 14. वायुष्मादेः प्रत्यक्षाप्रत्यक्षविवादरहस्यम 15. न्यायसिद्धान्तमञ्जरी (केवल शब्दखण्ड की टीका) ___ बाइण्डिग किये हुए छह ग्रन्थों में तथा सातवें क्रमांक के पूष्प तक छोटीबड़ी उपर्युक्त 15 कृतियाँ छप चुकी हैं। तीसरे पुष्प के रूप में 'यशोदोहन' छपा है जिसमें उपाध्याय जी के सभी उपलब्ध ग्रन्थों का परिचय है। आरम्भ की चार पुष्परूप कृतियाँ स्वतन्त्र एक-एक ग्रन्थ के रूप में तथा छठा पुष्प चार कृतियों से और सातवां पुष्प छह कृतियों से संयुक्त है। .आज आठवें पूष्प के रूप में उपाध्यायजी की तीन कृतियों का संयुक्त