Book Title: Arshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti

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Page 400
________________ घ) . शक्ति और सुविधा को ध्यान में रखकर विविध प्राकारों में विविध रूप में तैयार करवाई हैं तथा जनसंघ को आराधना की सुन्दर और मनोऽनुकूल कृतियां दी हैं। ये यन्त्र कागज पर, वस्त्र पर, ताम्र, एल्युमिनियम, सुवर्ण तथा चांदी प्रादि धातुओं पर मीनाकारी से तैयार करवाये हैं। ये दोनों यन्त्र प्रायः तीस हजार की संख्या में तैयार हुए हैं। पूज्य मुनिजी के पास अन्य अर्वाचीन कला-संग्रह के साथ ही विशिष्ट प्रकार का प्राचीन संग्रह भी है। इस संग्रह को दर्शकगण देखकर प्रेरणा प्राप्त करें ऐसे एक संग्रहालय (म्यूजियम) की नितान्त आवश्यकता है। जैनसंघ इस दिशा में गम्भीरतापूर्वक सक्रियता से विचार करें यह प्रत्यावश्यक हो गया है। दानवीर, ट्रस्ट मादि इस दिशा में मागे आयें, यही कामना है / प्रकाशन समिति

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