Book Title: Arshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti

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Page 398
________________ ( थ ) १३–'पेपर कटिंग कला' पद्धति में पूर्णप्राय 'भगवान महावीर' के 30 मीवन प्रसंगों का कलासम्पुट / (यह सम्पुट भी भविष्य में मुद्रित होगा।) १४–इनके अतिरिक्त मुख्यरूप से भगवान आदिनाथ, श्री शान्तिनाथ, श्री नेमिनाथ और श्री पार्श्वनाथ इन चार तीर्थङ्करों के (और साथ ही साथ अवशिष्ट सभी तीर्थङ्करों के जीवन-प्रसंगों के) नए चित्र चित्रित करने का कार्य (द्वितीय चित्रसम्पुट की तैयारी के लिए) तीन वर्ष से चल रहा है। लगभग 30 से 40 चित्रों में यह कार्य पूर्ण होगा। भगवान श्री पार्श्वनाथ का जीवन तो चित्रित हो चुका है तथा भगवान श्री आदिनाथ जी का जीवनचित्रण चल रहा है। यह दूसरा चित्र-सम्पुट मुद्रण-कला की विशिष्ट-पद्धति से तैयार किया जाएगा। -भगवान श्रीमहावीर के चित्रसम्पुट में कुछ प्रसंग शेष हैं वे भी तैयार किए जाएंगे अथवा तो पूरा महावीर-जीवन चित्रित करवाया जाएगा। 15 -हाथी दांत, चन्दन, सुखड़, सीप, काष्ठ आदि के माध्यमों पर जिनमूर्तियां, गुरुमूर्तियां, यक्ष-यक्षिणी, देव-देवियों के कमल, बादाम की डिब्बियां, काजू, इलायची, मूगफली, मूंगफली के दाने, छुहारा, चावल के दाने एवं अन्य खाद्य पदार्थों के आकारों में तथा अन्य अनेक आकारों की वस्तुनों में पार्श्वनाथ जी, पद्मावती आदि देंव-देवियों की प्रतिकृतियां बनाई गई हैं। तथा मुनिजी ने कला को प्रोत्साहन देने और जैन-समाज कला के प्रति अनरागी बने इस दृष्टि से अनेक जैनों के घर ऐसी वस्तुएं पहुंचाई भी हैं। इसके लिए बम्बई में कलाकारों को भी आपने तैयार किया है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविकाओं को मनोरम बादाम, कमल आदि वस्तुएं सुगमता से प्राप्त हो सकती हैं / मुनिजी के पास इनका अच्छा संग्रह है। -बालकों के लिए भगवान महावीर की सचित्र पुस्तक तैयार हो

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