Book Title: Arshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti
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________________ २१-तेर काठिया निबन्ध २२-कायस्थिति स्तवन ढालियावाल २३-विचारबिन्दु (धर्मपरीक्षा का वार्तिक) २४---आदि अने अन्तभाग (उपाध्यायजी के समस्त ग्रन्थों का ___अनुवाद सहित) इसके अतिरिक्त न्यायाचार्य जी के जीवन-कवन के सम्बन्ध में तथा अन्य अनेक कृतियों के अनुवाद और उनके बालावबोध-टब्बानों के प्रकाशन की योजना भी प्रस्तुत मुनिराज ने बनाई है। आपके प्रकाशित एवं अप्रकाशित लेखों की सूची भी पर्याप्त विस्तृत है। ___ कलामय कार्यों की सूची (पूज्य मुनि श्री यशोविजय जी महाराज कला के क्षेत्र में भी नैसर्गिक अभिरुचि रखते हैं तथा उसके बारे में गम्भीर लाक्षणिक सूझ रखते हैं फलतः वे कला के क्षेत्र में भी कुछ न कुछ अभिनव-सर्जन करते ही रहते हैं / ऐसे सर्जन की संक्षिप्त जानकारी भी यहां पाठकों के परिचयार्थ दी जा रही है।) १-महाराज श्री के स्वहस्त से निर्मित बृहत्संग्रहणी ग्रन्थ (संग्रहणीरत्न) के प्रायः 40 चित्र। जो कि एक कलर से लेकर चार कलर तक के हैं। ये छपे हुए तथा 'बृहत्संग्रहणी चित्रावली' की पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हैं। (सं० 1668) २-सुनहरे अक्षरों में लिखवाया हुआ बारसा-कल्पसूत्र / जो कि विविध पद्धति से लिखे हुए पत्र, विविध प्रकार की सर्वश्रेष्ठ बॉर्डर, चित्र और अन्य अनेक विविधतामों से युक्त है। (सं० 2023) ३-रौप्याक्षरी प्रतियाँ-रुपहले अक्षरों से लिखाई गई भव्य प्रतियां / ४-बारसासूत्र (भगवान महावीर के जीवन से सम्बद्ध) के जयपुरी कलम में, पोथी के आकार में पत्रों पर मुनिजी ने अपनी कल्पना के अनुसार विशिष्ट प्रकार की हेतुलक्षी, बौद्धिक बॉर्डरों से तैयार करवाये गए अत्यन्त पाकर्षक, भव्य तथा मनोरम चित्र /