Book Title: Arshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti

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Page 356
________________ श्लोकानुक्रमणिका 221 पद्यानि و ه पृष्ठांका: 125 146 132 123 134 132 ه له 152 عر م 157 و 154 س 137 م د مر 158 भयतो महतस्तया भव समासेव्य भानोः प्रभेव भूपो भुनक्ति मदनस्य चतु मदनस्य तदीय . मदनस्य तनो मात्राधिकस्यापि मुख्यो महेन्द्र मगखञ्जन यं वीक्ष्य साक्षा य इमां भुवनाति य इहाश्रययो यच्चैत्यवाय यत्रानिशं स्फटिक यत्रापणश्रेणिषु यवेन्दुकान्ता यत्रोल्लसत्स्फाटि 0 यदापणन्यस्त यद्भास्वताऽनेन यद्भूर्भुवः स्वः यद्यत्र भास्वान् यद्वप्रपालीब यदुश्मनां च यस्मिन् सभा युद्धे च लक्ष्मीः युवनेत्रविलासि مر पृष्ठांका: / पद्यानि 150 यो यत्र दोषः 146 | रतिरेतु तरि 146 लङ्कामिवावेत्य लावायलक्ष्मी वनीपकानामिव वप्रेषु यस्मिन् वयसा शिशु विजितं किल 138 विद्यागुरोरेव विद्याभिरेतस्य विधुमेव सुरा विधुराब्ज विविधये विमानलक्ष्मी विहितसदृश | वेगप्रकर्षाद व्यलसन् दश व्यशीशिषद् शुचितद्वदना शुचितस्मित श्रयतां शशिन० श्रियमिव हरिणा श्रीद: श्रिया श्रतिगमित | श्रेणीभवत्स 128 श्वभ्रे बलिः 146 | सकलकच wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww 127 136 146 ا 126 W US w rm a سه اس 157 110 162 اس ع >> ل w 126 153 145 136 سه لم 126 130 134

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