Book Title: Anusandhan 2005 09 SrNo 33
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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September-2005
। लीखतु पुगलिया धनसुख री वंदणा १०८ वार अवधारसी करपा करने
पधारसी और......
। लीखतु गोलेछा अगरचन्द आलमचन्द री
अवधारसी
। लीख सुभकरण सेसकरण - लूणियारी वंदणा मालम १०८ वार होसी हस्तखत निहालचन्दरा छ :
19
। लीखतु नथमल चपरोर वंदणा
१०८ वार अवधारसी
। लीखतु नगारामरा वंदणा वंचावसी वार १०८ वार वंचावसी धरम सनेह रखा जण वैसे ही रखावसी
.....
वंदणा १०८ वार करने
*.........
। लीखतु साल लखमीचन्द अर समसतरी वंदणा १०८ वार वंचावसी
। लीखतु पारख उमेदमल री वंदणा १०८ वार वंचावसी
। ली खजांची माणकचन्द अगरचन्द री वंदणा १०८ वार वंचावसी वंदणा श्री १०८ वार वंचावसी
। ली माणकचन्द कुनणमल
। लीखतु कांकरीया भींवराज री वंदणा १०८ वार वंचावसी वंदणा १०८ वार वंचावसी घणा मानसु करी ने
। लीख
। लीख नाहटा दौलतराम बुधमल जेठमल री वंदणा १०८ वार वंचावसी अवधारसी धमसनेह रखावसी,
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लखतु लधाराम री वंदना वार १०८ अवधारसी धमसनेह रखावसी जी मोहणोत आज्ञाकारी वनेचन्द री वंदणा वार १०८ मालम होसी ।
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