Book Title: Anusandhan 2005 09 SrNo 33
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ September-2005 तेमणे एकत्र करेल तथा प्रगट करवा धारेल पत्रसंग्रह ( बीजो भाग) मां ए पत्र - काव्य होई शके. परन्तु ते सामग्री आजे तो कालग्रस्त थई दीसे छे. कोई संग्रहमां आ पत्र के तेनी नकलरूप प्रत होई शके. कोई बुधजन ते प्रकाशित करशे तो बहु आनन्द थशे. 29 अहीं प्रगट थतो पत्र ते अद्यावधि अज्ञातप्राय एवो 'सेवालेख' नामक पत्र छे, जे बर्हानपुरे चोमासुं रहेला श्रीमेघविजयजीए दीवबन्दरे विराजमान गच्छनायक श्रीविजयप्रभसूरि उपर लखेल क्षमापना - पत्ररूप छे, अने तेनुं श्लोकमान १९० छे. आ सेवालेखनी एकमात्र प्रति श्रीकान्तिविजयजी भण्डार ( वडोदरा के छाणी) मां छे, अने त्यां तेनो क्रमांक २२६३ / २ एम छे. तेनी झेरोक्स नकल परथी आ सम्पादन करवामां आव्युं छे. आ प्रति प्राचीन नथी, परन्तु वीसमा शतकनी होय तेम जणाय छे, कदाच श्रीकान्तिविजयजीए ज तेनी नकल लखावी होय तो बनवाजोग छे. प्रति अशुद्ध घणी छे. छ पत्रनी प्रत छे. प्रारम्भना ३३ श्लोकोमां जिनप्रतिमा अने तेना परिकरनुं वर्णन छे, अने ३४ थी ५३ मां मनमोहन पार्श्वनाथनुं वर्णन छे. ५२मा श्लोकमां अन्य जिनबिम्बोनो पण उल्लेख थयो छे. कुल ५३ पद्योमां जिनवर्णन थयुं छे. ते पछी सौराष्ट्रदेशनं अने द्वीपबन्दरनुं वर्णन छे (५४-७६). ते पछी बर्हानपुरनुं वर्णन छे (७७-९०). ते शहेरमां साधु (शाह) रूपजीनो उपाश्रय छे (९१), तेमां व्याख्यागवाक्ष अर्थात् व्याख्याननी पाट छे तेमज तेना उपर चन्द्रोदय - चंदरवो होवानुं पण वर्णन थयुं छे (९३-९४). व्याख्यान श्रवण करनारा प्रबुद्ध श्रोताओ द्वारा 'तहत्ति' शब्द द्वारा अपाता, वक्तानो उत्साहउन्मेष वधारनारा होंकारा नुं पण बयान थयुं छे अहीं (९७). ९८-९९ मां धनजी, जिनदास जेवा श्रावकोनां नामो वणवामां आव्यां छे. १०१मां श्राविकाओनी तपश्चर्या विशे निर्देश थयो छे. बुरानपुरनो शासक अवरंगशाह होवानो निर्देश ११३ अने ११७ द्वारा मळे छे. ११८मां पोताना गुरुना आदेशथी आ लेख लखी रह्या होवानुं, पोताना नाम साथे, कर्ता निर्देशे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102