Book Title: Anusandhan 2005 09 SrNo 33
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
September-2005
91
वि.सं. १६१०मां (ई.स. १५५३मा) करी छे. आ टीका अप्रकाशित छे अने तेनी हस्तप्रत पूनाना भाण्डारकर इन्स्टीट्युटमा छे. शशधराचार्यनी नव्यन्यायनी कृति न्यायसिद्धान्तदीप उपर टिप्पन लखनार वाचक गुणरत्न आ वाचक गुणरत्नथी भिन्न छे.
नाम मुजब सुखबोधिका टिप्पनिका केवळ टिप्पनरूप टीका नथी परंतु विस्तृत विवरणरूप टीका छे. ते मूळ कृतिने विशद रीते अने प्रमाणभूततापूर्वक समजावे छे. नव्यन्यायना गहन अध्ययनने ते प्रदर्शित करे छे. ते सूक्ष्म समस्याओने विस्तारथी स्पष्टताथी समजावे छे, समान जणाती के एक जेवी लागती विभावनाओ अने परिभाषाओनो सूक्ष्म भेद स्पष्ट करे छे, पाठान्तरनी चर्चा करे छे, प्रमाणभूत ग्रन्थो अने ग्रन्थकारोने समर्थनमां उद्धृत करे छे अने समर्थपणे केटलाक व्याकरणना मुद्दाओने समजावे छे. ते शंकाओ अने प्रश्नो ऊभा करी पछी तेमनुं विशद तर्कसंगत समाधान करे छे. तत्त्वचिन्तामणि पर रचायेला विशाळ टीकासाहित्यमां आ सुखबोधिकार्नु प्रदान नोंधपात्र छे, विधायक छे अने विशिष्ट छे.
नव्यन्याय ओ भारतीय तर्कशास्त्र, एक गंभीर अने सूक्ष्म तम रूप छे. तेनी शरुआत ई.स.नी १२मी शताब्दीथी थई. परंतु तेनो प्रधान ग्रन्थ तत्त्वचिन्तामणि तो ई.स. १३५० आसपास रचायो. तेना कर्ता छे गंगेश उपाध्याय. ते न्यायसम्मत चार प्रमाणोनुं नव्यन्यायनी शैली अने पद्धतिले निरूपण करे छे. ते चार प्रमाणो छे प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान अने शब्द. परंतु तत्त्वचिन्तामणिनो अनुमानखण्ड अध्ययन-अध्यापनमां केन्द्रस्थाने रह्यो छे. तेथी अनुमानखण्ड उपर संख्याबंध टीकाओ रचाई छे. प्रस्तुत टीका सुखबोधिका अनुमानखण्डनी ज टीका छे. नव्यन्यायनी पद्धतिनी अति गंभीरता अने सूक्ष्मताने कारणे अनुमानखण्ड उपर विवरणात्मक गहन टीका रचवी ए तो विद्वत्तानी आकरी कसोटी छे. आवी टीकानी रचना जैन साधु वाचक गुणरत्ने करीने जैनोनी विद्याप्रियतानुं गौरव कर्यु छे अने जैनोनी ज्ञानसाधनाने प्रगट करी छे.
नव्यन्यायमां जैन साधुओनो फाळो नोंधपात्र छे. सौ प्रथम ई.स. १४ मी शताब्दीमां गुणरत्नगणीओ शशधरना न्यायसिद्धान्तदीप उपर टिप्पन लख्यु.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102