Book Title: Anant Akash me Author(s): Atmadarshanvijay Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 4
________________ 82799 समर्पण मिनका केशालुचन महान् साधुत्व का प्रतिनिधित्व करता है." जिनकी प्रशान्त-मुखमुद्रा कषायलुंचन की याद दिलाती है जिनके कमल की पंखुड़ी जैसे नेत्र कामलुचन के प्रतीक बने हैं. जिनके के अधर के आस-पास मधुर-साहजिक स्मित कृत्रिमता-लुंचन का सूचक है जिनका योगि-सहन सरल व्यक्तित्व कपटलुचन दिखाता है।" उन महान अध्यात्मयोगी प्रगुरुदेव श्रीकलापूर्ण सूटी मी के कर कमलों में सानन्द समर्पण EDE करता हुआ जाय "योगि बाल" आत्म दर्शन विमय Serving jinshasan 082799 gyanmandir@kobatirth.org Jain Education International For Private & Fursa n tsPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 66