________________ अध्यात्मयोगी प. पू. आचार्य श्रीमद् कलापूर्ण सूरीश्वर जी म. सा. द्वारा लिखित एवं सम्पादित पुस्तकें પરમતત્વની पान जप योग सिम समाजीक ध्यानविण्यार भक्ति है मार्ग मुक्ति का fond-means situal मिले मन भीतर भगवान् पु. कलापूर्णसरिजी म. DIWAKAR PRAKASHAN, AGRA. PH. : (0562) 351165 www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International