Book Title: Anant Akash me
Author(s): Atmadarshanvijay
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 65
________________ R:0:0:0:0:090800:0:0:0:0:0:0:0:0:0908050308080:0:0:0:0:0:0:0:09080808080600:0:0:0:0:0:0:0:0:0:00:00: 00:0:0:0:0:0:0:0:00.00000000 जा पूज्यपाद अध्यात्मयोगी श्रीमद् विजय कलापूर्ण सूरीश्वर जी महाराज साहब के कर-कमलों द्वारा लिखित ग्रन्थों की सूची 808080802:00 (१) अमृतवेल-सज्झाय के माध्यम से दृष्कृत गर्दा अर्थात् पाप-निन्दा, सुकृत अनुमोदना और अरिहंतादि परमेष्ठियों के प्रति समर्पण भाव इत्यादि मुख्य पदार्थों के मर्म को प्रकट करने वाली पुस्तक-“सहज समाधि" (२) प्रीति-भक्ति-वचन और असंग इत्यादि अनुष्ठानों द्वारा परमात्म-भक्ति किस प्रकार की जाय? लाखों मील दूर स्थित परमात्मा किस माध्यम से हमारे मन-मन्दिर में मंगल-पदार्पण करते हैं..........? आदि भक्ति-विषयक पदार्थों का सुन्दर और सरल भाषा में निरूपण करने वाली पुस्तक-"मिले, मन भीतर भगवान।" (३) इस संसार में (मृत्यु लोक में) रहते हुए भी हम मुक्ति सुख की वैरायटी प्राप्त कर सकते हैं-"समता के माध्यम से।" इस समता का दूसरा नाम “सामायिक" है। सामायिक के अनेक प्रकारों को सात्त्विक शैली में प्रस्तुत करने वाली पुस्तक-"सर्वज्ञ कथित सामायिक धर्म" (४) अध्यात्मनिष्ठ श्री देवचन्द जी महाराज के द्रव्यानुयोग से युक्त चौबीसी स्तवनों के गम्भीर अर्थों को और सात्त्विक रहस्यों से प्रकट करने वाली पुस्तक-“परमतत्त्वनी उपासना" (५) भक्ति योग विषयक चुने हुए छोटे-बड़े निबन्धों से अलंकृत पॉकेट बुक-"भक्ति योग' (६). परमार्थी ध्यान क्या चीज है? जैन दर्शन के प्रत्येक अनुष्ठानों में “ध्यान योग" भरपूर मात्रा में है.......... जिस ध्यान में देव-गुरु-धर्म न हो वो ध्यान शुभ ध्यान नहीं हो सकता.......... इत्यादि स्पष्टताओं से युक्त ध्यान के हजारों प्रकार दर्शाने वाला अद्भुत अनोखा महाकाय ग्रन्थरल “ध्यान-विचार" (७) आज तक जिस पुस्तक के माध्ययम से आचार्य भगवन्त ने स्वयं रात्रि कक्षाओं द्वारा हजारों छात्रों (विद्यार्थियों) को सरल और वैराग्यपूर्वक रोचक शैली में जैन तत्त्वों को कण्ठस्थ कराया है। ऐसे जैन दर्शन के हार्द समान नौ तत्त्वों और जीव विचार के पदार्थों को सुन्दर और अत्यन्त सरल भाषा में संक्षिप्त रूप में बताने वाली पुस्तक-“तत्त्वज्ञान प्रवेशिका" (8) मुक्ति का मार्ग भक्ति है, पर भक्ति में प्रबल निमित्त होती है ...........मूर्ति। इस प्रकार मूर्ति पूजा को अनेकविध शास्त्र-पाठों द्वारा और ऐतिहासिक साक्ष्यों द्वारा सिद्ध करके मुक्ति की प्राप्ति में मूर्ति को अनन्य कारण रूप दर्शाने वाली पुस्तक भक्ति है माग मुक्ति का" (९) सुन्दर-रोचक चुने हुए कुछ प्राचीन स्तवनों की अर्थपूर्ण विवेचना को प्रकट करने वाली पुस्तक-"तार हो तार प्रभु" (१०) कविरत्न नारणभाई के विस्तृत प्रयत्नों से तैयार, पैंसठिया यन्त्र युक्त अनानुपूर्वी (जप) साधक आत्माओं के लिए अद्वितीय, नया और सचित्र प्रकाशन (पॉकेट बुक) “जप योग" प्रस्तुत पुस्तक : अनन्त आकाश में हजारों प्रकाश-वर्ष दूर-सुदूर अनन्त आकाश में, चमकते तारे भी होते हैं.........तो, कष्टदायक मंगल और शनि समान ग्रह भी होते हैं.......... यह विश्व भी. एक विशाल 'गगन' है। जिसमें घोर अन्धकारयुक्त रात्रि में प्रकाश का पुंज फैलाने वाले तारों समान महापुरुष भी होते हैं............और उपद्रवकारी ग्रहों के समान विघ्न उत्पन्न करने वाले नीच पुरुष भी दृष्टिगोचर होते हैं। इतिहास के अमर पृष्ठों में अंकित इन सबकी चमकती या कालिमायुक्त घटनायें, जम्बो जेट की २०वीं शताब्दी के मानवीय जीवन-व्योम को कुछ मूक संदेश देती हैं जो कि उत्थान और पुनरुत्थान के टर्निंग पोइंट को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है। इस पुस्तक की सचित्र घटनाओं को न केवल पढ़िये बल्कि मनन भी कीजिये। कदाचित् ............ व्यसनों के बादलों से घिरा हुआ......... और क्रोधादि-कौटुम्बिक क्लेश की कालिमा से कलुषित जीवन-आकाश, प्रकाश पुंजों से प्रकाशित हो उठेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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