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सहिष्णुता अनुप्रेक्षा
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___ आग भी उपयोगी है और पानी भी उपयोगी है। आग में पानी डालो, आग बुझ जाएगी और पानी फालतू चला जाएगा। अगर हम आग और पानी के बीच में समताल-श्वास का बर्तन रखना सीख जायें तो पानी भी खराब नहीं होगा, काम का बन जाएगा। आग भी नहीं बुझेगी और हम उसे बहुत से काम में ले पाएंगे।
सहिष्णुता का प्रयोग, सहन करने का प्रयोग, श्वास के बिना सम्भव नहीं होता। मनोबल की शिक्षा-सहिष्णुता
___एक बहुत बड़ी शक्ति है-सहिष्णुता। सहिष्णुता का विकास तब होता है जब सहारे की बात नहीं सोची जाती। जो कष्ट सहते हैं, कठिनाइयां झेलते हैं, वे सहिष्णुता का विकास कर लेते हैं।
यह सब जीवन-विज्ञान की शिक्षा के द्वारा सम्पन्न हो सकता है। यह विद्याशाखीय शिक्षा के द्वारा कभी नहीं हो सकता। विद्या की जितनी शाखाएं हैं, उन सबको पढ़ लो, किन्तु सहिष्णुता की शक्ति नहीं जाग पाएगी, समता का विकास नहीं हो पाएगा। विद्या की एक शाखा-जीवन-विज्ञान' ही ऐसा माध्यम बन सकती है जो आदमी की आन्तरिक शक्तियों को जगाकर उसके व्यक्तित्व को सर्वांग सुन्दर बना सकती है।
हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, वह संयोग-वियोग की दुनिया है। न जाने प्रतिदिन कितनी करुण घटनाएं घटित होती है। दुर्घटनाएं होती हैं। अनेक व्यक्ति मर जाते हैं। धन चला जाता है। अनेक विकट परिस्थितियां पैदा होती हैं। आदमी में उन्हें झेलने की शक्ति नहीं रहती। इस स्थिति में क्या सम्भव है कि हमारी शिक्षा हमें कोई सहारा दे ? आज की शिक्षा के साथ यह शिक्षा अवश्य ही जोड़नी होगी, और वह शिक्षा है अपने आपको देखने की शिक्षा, मनोबल को विकसित करने की शिक्षा, सहिष्णुता को बढ़ाने की शिक्षा। सहिष्णुता का अभाव
आज का मनुष्य इतना असहिष्णु है कि वह कुछ भी सहन नहीं कर सकता। आज के युग की यह भयंकर बीमारी है। वह किसी भी घटना को सहन नहीं कर पाता। हीटर और कूलर क्यों चले ? जब मनुष्य ऋतु के प्रभाव को सहन करने में असमर्थ हो गया तब इनका आविष्कार हुआ। ऋतु के प्रभाव को सहने की क्षमता आदमी में कम हो गई है। आज जब कुछ समय के लिए बिजली चली जाती है तब आदमी परेशान हो जाता है। गर्मी है,
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