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अमूर्त चिन्तन
इमे भावा अणिच्चा-ये स्वभाव चले जाने वाले हैं।
यह विसम्बन्ध का प्रयोग है, स्थूल से सूक्ष्म की तरफ चलें। सारे सम्बन्धों को देखते चले जाएं।
ये जुड़े हुए हैं, इनको देखते चले जाएं। पर संयोग मूर्छा न बन जाए। तब बाद में जो कुछ बचेगा, वह मैं हूं। चिंतन करें। अनुचिंतन करें। गहराई से चिंतन करें।
(नोट-अनित्य-अनुप्रेक्षा करने से पहले अहम् की ध्वनि और ध्येय सूत्र का उच्चारण करें तथा कायोत्सर्ग की मुद्रा में यह प्रयोग करें।)
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