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अमूर्त चिन्तन
४. शांति-केन्द्र पर पीले रंग का ध्यान करें।
३ मिनट ५. शांति-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें
'नियंत्रण की क्षमता बढ़ रही है। मन की चंचलता कम हो रही है'-इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें, फिर नौ बार मानसिक जप करें।
५ मिनट अनुचिंतन करें
अनुशासन या नियंत्रण के बिना समाज नहीं चल सकता। जब आत्म-नियंत्रण सशक्त होता है तब बाहरी नियंत्रण की अपेक्षा कम होती है। आत्म-नियंत्रण की शिथिलता होने पर बाहरी नियंत्रण की मात्रा बढ़ जाती है। मैं नहीं चाहता कि बाहरी नियंत्रण के द्वारा मेरी स्वतंत्रता पर अंकुश लगे।
'अपने पर अपना अनुशासन अणुव्रत की परिभाषा'-इस सत्य को मैंने समझा है। इसलिए मैं संकल्प करता हूं कि मैं आत्मानुशासन का विकास करूंगा।
१० मिनट ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान सम्पन्न करें। २ मिनट
मुक्ति की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि
२ मिनट कायोत्सर्ग
५ मिनट नीले रंग का श्वास लें। अनुभव करें-श्वास के साथ नीले रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं।
३ मिनट ४. विशुद्धि-केन्द्र पर नीले रंग का ध्यान करें। ३ मिनट ५. ब्रह्म-केन्द्र (जीभ) पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें___ 'इच्छा का परिष्कार हो रहा है। स्वार्थभाव क्षीण हो रहा है'-इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें, फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें।
५ मिनट अनुचिंतन करें
___ जीवन यात्रा के संचालन का केन्द्र-बिंदु लोभ है। इससे इच्छा और स्वार्थ की भावना पैदा होती है। उसकी प्रेरणा से मनुष्य सुख-सुविधा चाहता है और उसकी साधन-सामग्री का संचय करता है।
स्वार्थ सफलता की बहुत बड़ी प्रेरणा है, उसे सामाजिक प्राणी सर्वथा रोक नहीं सकता। दूसरे के स्वार्थ को हानि पहुंचाए बिना अपना स्वार्थ साधने को अमान्य नहीं किया जा सकता है।
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