Book Title: Amurtta Chintan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 265
________________ २५४ अमूर्त चिन्तन मैं स्वावलम्बी रहूंगा। मै अपनी आवश्यकता-पूर्ति के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करूंगा।' ___ अभ्यास पद्धति-शान्ति-केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित करें। फिर इस संकल्प की १५ मिनट तक पुनरावृत्ति की जाए-५ मिनट उच्चारण पूर्वक, ५ मिनट मंद उच्चारण पूर्वक और ५ मिनट मानसिक अनुचिंतन के रूप में। ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान सम्पन्न करें। २ मिनट कर्त्तव्यनिष्ठा की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. लयबद्ध दीर्घश्वास ५ मिनट भस्त्रिका ५ मिनट ४. कायोत्सर्ग ५ मिनट ५. संकल्प 'मैं अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहूंगा। कर्तव्य के बाधक तत्त्वोंक्रोध, लोभ, भय आदि को अनुशासित रखने का अभ्यास करूंगा।' ___ अभ्यास पद्धति-शान्ति-केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित करें। फिर इस संकल्प की १५ मिनट तक पुनरावृत्ति की जाए, ५ मिनट उच्चारण पूर्वक, पांच मिनट मंद उच्चारण पूर्वक और पांच मिनट मानसिक अनुचिंतन के रूप में। ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान संपन्न करें। २ मिनट राष्ट्रीय दायित्व की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. लयबद्ध दीर्घश्वास ५ मिनट ३. भस्त्रिका ५ मिनट ४. कायोत्सर्ग ५ मिनट ५. संकल्प 'मैं अपने राष्ट्रीय दायित्व के प्रति सचेत रहूंगा। मैं वैसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे राष्ट्र का अहित हो, उसकी प्रतिष्ठा कम हो।' ___ अभ्यास पद्धति-दर्शन-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करें। फिर इस संकल्प की १५ मिनट तक पुनरावृत्ति की जाए-पांच मिनट उच्चारण पूर्वक, पांच मिनट मंद उच्चारण पूर्वक और पांच मिनट मानसिक अनुचिंतन के रूप में। ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान संपन्न करें। २ मिनट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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