Book Title: Amurtta Chintan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 267
________________ २५६ अमूर्त चिन्तन an ५. संकल्प 'मैं साम्प्रदायिक कट्टरता से बचूंगा। मैं विभिन्न मान्यताओं और संप्रदायों के प्रति सद्भावना का विकास करूंगा।' अभ्यास पद्धति-आनन्द-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करें। फिर इस सकंल्प की १५ मिनट तक पुनरावृत्ति की जाए-पांच मिनट उच्चारण पूर्वक, पांच मिनट मंद उच्चारण पूर्वक और पांच मिनट मानसिक अनुचिंतन के रूप में। ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान संपन्न करें। २ मिनट मानवीय एकता की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. लयबद्ध दीर्घश्वास ५ मिनट ३. भस्त्रिका ५ मिनट ४. कायोत्सर्ग ५ मिनट .५. संकल्प ___ 'मैं मानवीय एकता में विश्वास करूंगा। मैं जाति, रंग आदि के आधार पर किसी को ऊंच-नीच नहीं मानूंगा।' ____अभ्यास पद्धति-विशुद्धि-केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित करें। फिर इस संकल्प की १५ मिनट तक पुनरावृत्ति की जाए-पांच मिनट उच्चारण पूर्वक, पांच मिनट मन्द उच्चारण पूर्वक और पांच मिनट मानसिक अनुचिंतन के रूप में। ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान सम्पन्न करें। २ मिनट सह-अस्तित्व की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. लयबद्ध दीर्घश्वास ५ मिनट ३. भस्त्रिका ५ मिनट ४. कायोत्सर्ग ५ मिनट ५. संकल्प 'मैं शांतिपूर्ण सहवास का अभ्यास करूंगा। मैं विध्वंसात्मक और आक्रामक प्रवृत्ति का समर्थन नहीं करूंगा।' अभ्यास पद्धति-आनन्द-केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित करें। फिर इस संकल्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274