Book Title: Amurtta Chintan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 259
________________ २४८ अमूर्त चिन्तन अनुचिंतन करें शारीरिक संवेदन ऋजु जनित संवेदन रोग जनित संवेदन मानसिक संवेदन सुख-दु:ख अनुकूलता-प्रतिकूलता भावात्मक संवेदन : विरोधी विचार विरोधी स्वभाव विरोधी रुचि ये संवेदन मुझे प्रभावित करते हैं, किन्तु इनके प्रभाव को कम करना है। यदि इनका प्रभाव बढ़ा तो शक्तियां क्षीण होंगी। जितना इनसे कम प्रभावित होऊंगा, उतनी ही मेरी शक्तियां बढ़ेगी। इसलिए .सहिष्णुता का विकास मेरे जीवन की सफलता का महामंत्र है। १० मिनट ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान संपन्न करें। २ मिनट ___ मृदुता की अनुप्रेक्षा . १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. कायोत्सर्ग ५ मिनट ३. हरे रंग का श्वास लें। अनुभव करें-श्वास के साथ हरे रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। ३ मिनट ४. दर्शन-केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान करें। ३ मिनट ५. शांति-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें 'मृदुता का भाव पुष्ट हो रहा है। अहं का भाव क्षीण हो रहा है'-इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें। ५ मिनट अनुचिंतन करें १. व्यक्ति और वस्तु के प्रति मेरा व्यवहार विनम्र होना चाहिए। २. सत्य के प्रति विनम्र भाव, जो मैं कहता हूं वही सत्य है, इस आग्रह से बचने का मनोभाव। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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