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अनुप्रेक्षा : प्रयोग और पद्धति
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३. मुझे अपने अहं का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
४. कृतज्ञता के लिए साधुवाद, धन्यवाद देना, सत्य प्रकृति का अनुमोदन करना जीवन की सफलता का एक आवश्यक तत्त्व है।
५. अपनी भूल के लिए खेद प्रकट करना, अप्रिय व्यवहार हो जाने से क्षमायाचना करना अपने आपको बड़ा बनाने का उपाय है। इन सबके प्रति मैं जागरूक बना रहूंगा।
१० मिनट ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान संपन्न करें।
२ मिनट अभय की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि
२ मिनट २. कायोत्सर्ग
५ मिनट ३. गुलाबी रंग का श्वास लें। अनुभव करें :
श्वास के साथ गुलाबी रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। ४. आनन्द-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर गुलाबी रंग का ध्यान करें।
३ मिनट ५. आनन्द-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें-'अभय का
भाव पुष्ट हो रहा है। भय का भाव क्षीण हो रहा है'-इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें। फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें।
५ मिनट अनुचिंतन करें
भय से विकसित शक्तियां कुण्ठित हो जाती हैं। नई शक्तियां विकसित नहीं हो पातीं। इसलिये मुझे अभय होने का अभ्यास करना चाहिए। जो डरता है. उसे सभी डराते हैं। भय आदमी को कमजोर बनाता है। कमजोर आदमी का कोई सहयोग नहीं करता। शक्ति के विकास के लिए अभय की साधना करूं यह मेरा दृढ़ निश्चय है। मैं निश्चय ही भय से छुटकारा पा लूंगा।
१० मिनट ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान सम्पन्न करें।
२ मिनट आत्मानुशासन की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि
२ मिनट २. कायोत्सर्ग
५ मिनट ३. पीले रंग का श्वास लें। अनुभव करें-श्वास के साथ पीले रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं।
३ मिनट
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