Book Title: Amurtta Chintan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 254
________________ आत्मानुशासन अनुप्रेक्षा २४३ हम किसी भी दृष्टि से सोचें-चाहे बौद्धिक विकास के लिए, चाहे भावनात्मक विकास के लिए, चाहे जीविका की सफलता के लिए या सह-अस्तित्व की सफलता के लिए, हमें संवेदनों पर नियन्त्रण करना होगा। यह एक उपाय है। अनुपाय कुछ भी नहीं है। जिसके पास उपाय नहीं है, वह हजार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो सकता। जिसके पास उपाय है, वह थोड़े समय में ही सफलता की मंजिल तक पहुंच जाता है। इसलिए उपाय को खोजें, अपनाएं और मंजिल तक पहुंचे। संवेदनों पर नियंत्रण पाने का मार्ग सबके लिए कल्याणकारी है। यदि प्रारम्भ से ही विद्यार्थी को उपाय और परिणामबोध से परिचित करा दिया जाए तो न केवल विद्यार्थी जीवन अच्छा होगा परन्तु उसका पूरा सामाजिक जीवन भी अच्छा होगा। इस प्रकार हम नई समाज-व्यवस्था में विद्यार्थी को एक घटक के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। नया मार्ग और नई दिशा उसके सामने रख सकते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274