Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 02
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 4
________________ // 3 // प्रकाशकीय-निवेदन आ आगमोद्धारककृतिसन्दोहना द्वितीयविभागमा प० पू० स्वर्गस्थ-गुरुदेव-प्रातःस्मरणीय-आगमोद्धारक-आचार्यदेवश्रीआनन्दसागरसरिपुङ्गवनी कृतिओ छेतेओश्रीए पोतानुं सम्पूर्णजीवन शासनसेवामां अटु, जैनसाहित्यमा आगमशास्त्रो आदिने प्रकाशन कराववानुं अतिमहत्त्वचें कार्य तेओश्रीए कर्यु छे. जैनशास्त्रो आदिनुं उंडु ज्ञान होवाने लीधे 'बहुश्रुत' तरीकेनी ख्यातिने तेओश्री पाम्या हता. . आनी पहेलांना प्रथमविभागमा 38 कृतिओ अने आ द्वितीयविभागमां पण 38 कृतिओ आपेली छे. आ तथा 'तात्त्विक प्रश्नोत्तराणि'नो विशालकायग्रन्थ अने हवे पछी प्रकाशन थता भा० 3, भा०४; वगेरे तेओश्रीनी विद्वतानो पूरतो परिचय करावे छे, कृतिओना नामो ज पोताना विषयोने कही आपे तेवां छे.सदरहु प्रकाशनमां गच्छाधिपति-पू० आ० श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वरजीए मुख्यताए कृतिओर्नु संशोधन कर्यु छ, पू० गणिवर्य श्री. चन्दनसागरजीमहाराजे मूलहाथपोथी परथी प्रेसकोपीओ करवीमेळववी अने प्रूफो आदिसुधारवां वगेरेमां नोंधपात्र सेवाओ आपी छे आथी : तेओश्रीओनो आभारव्यक्त करूं छु.प० पू० आगमोद्धारक-आचार्यदेवश्रीनी जन्मभूमि कपडबंज छे, तेम संसारि अवस्थामां अमारा कुटुम्बना हता. तेम तेओश्रीनो उपकार पण म्हारा पर अवर्णनीय छे. वर्तमानकालना आ अजोडगीतार्थ पुरुषे रचेली कृतिओ प्रसिद्ध करवा माटेनो लाभ मने प्राप्त थतां अनहद आनन्द प्राप्त थयो छ. दृष्टिदोषथी अगर प्रेसदोषथी जे कोइ खामी देखाय ते. विद्वदर्योए शुद्ध करी लेवु / रमणलाल जयचन्द शाह 2015 भाद्रपद शुक्लाष्टमी कपडवंज // 3 // // 3 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhakast

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