Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 8
________________ जैन आगम : एक परिचय] ___ साधना, आत्म-आराधना और मन-इन्द्रियों के निग्रह का उपदेश दिया गया है और सन्देश दिया गया है त्याग-वैराग्य से जीवन को चमकाने का। आत्म-विकास की साधना का नवनीत ही आगमों में प्राप्त होता है। आत्मा के सम्पूर्ण विकास की वैज्ञानिक प्रक्रिया तथा मानव व्यक्तित्व के सर्वतोमुखी विकास एवं उन्नयन की विचारणा जैन आगम साहित्य की प्रमुख देन है, जो विश्व साहित्य में अपना गौरवपूर्ण स्थान रखती है। ___आध्यात्मिक क्षेत्र में जैन आगम साहित्य जितना गुरु-गम्भीर है , उतना ही भौतिक क्षेत्र में भी है। आज की बहुत-सी आश्चर्यजनक वैज्ञानिक खोजों और उपलब्धियों के चिन्तन-बीज आज से २५०० वर्ष पूर्व के जैन आगमों में मिलते हैं । उदाहरणार्थपरमाणु-ज्ञान, वनस्पति, पेड़-पौधों में जीव होना, शब्द का व्यापक होना आदि सिद्धान्त । मध्यकाल तक इन बातों को विचित्र धारणाएँ समझकर मान्यता नहीं दी गयी थी, लेकिन आधुनिक विज्ञान ने उनको सत्य सिद्ध कर दिया है और वे गम्भीर वैज्ञानिक सत्य के रूप में स्वीकार कर लिये गये हैं। इस तथ्य से भी जैन आगम साहित्य की मौलिकता और 'प्रत्यक्षज्ञानी कथन' होने की सत्यता सिद्ध होती है। ___ मैं यहाँ आगमों की लम्बी और विस्तृत विवेचना तथा चर्चा न करके पाठकों को आगम साहित्य का सिर्फ संक्षिप्त परिचय ही देना चाहता हूँ। जिज्ञासु पाठक अपनी-अपनी रूचि और जिज्ञासा के अनुसार आगमों का अध्ययन कर अपनी जिज्ञासा शान्त कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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