Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 24
________________ जैन आगम : एक परिचय] - अंतकृत्दशा निरयावलिका अनुत्तरौपपातिकदशा कल्पावतंसिका प्रश्नव्याकरण पुष्पिका विपाक पुष्पचूलिका वृष्णिदशा मूलसूत्र छेदसूत्र उत्तराध्ययन निशीथ दशवैकालिक व्यवहार नन्दीसूत्र बृहत्कल्प अनुयोगद्वार दशाश्रुतस्कन्ध आवश्यक सूत्र इन बत्तीस आगमों को प्रभावपूर्ण मानने का कारण यह है कि इनमें क्षेपक आदि नहीं है। बत्तीस आगमों का संक्षिप्त परिचय अब इन आगमों का संक्षिप्त परिचय सामान्य जानकारी के लिए प्रस्तुत है। अंग आगम- मूलतः अंग आगम बारह हैं। भगवान की वाणी द्वादश अंगों में गणधरों द्वारा संकलित की गयी थी। किन्तु कालदोष तथा अन्य विध्न-बाधाओं एवं देश-काल की विषम परिस्थिति के कारण बारहवाँ अंग दृष्टिवाद पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुका है। अतः अब हमें ग्यारह अंग ही उपलब्ध हैं। इनका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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