Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 48
________________ जैन आगम : एक परिचय] ४७ __ अठारहवें संयतीय अध्ययन में राजर्षि संजय का जीवनप्रसंग है। वह गर्दभाली मुनि के उपदेश को सुनकर साधु बन जाता है। ___उन्नीसवें अध्ययन मृगापुत्रीय में मृगापुत्र के दीक्षा लेने और अपने माता-पिता को समझाने का वर्णन है। बीसवें महानिर्ग्रन्थीय अध्ययन में अनाथी मुनि और राजा श्रेणिक के मध्य हुआ रोचक संवाद संग्रहीत है। इक्कीसवें समुद्रपालीय अध्ययन में साधु के आतंरिक आचार का वर्णन करते हुए यह बताया है कि साधु प्रिय और अप्रिय दोनों स्थितियों में सम रहे। ___ बाईसवें अध्ययन रथनेमीय के राजुल द्वारा रथनेमि को बोधप्रद उपदेश दिया गया है। तेईसवें केशी-गौतमीय अध्ययन में पार्श्वनाथ परम्परा के केशीश्रमण और गौतम गणधर का संवाद है। केशीश्रमण संतुष्ट होकर भगवान महावीर के संघ में सम्मिलित हो जाते हैं। ___चौबीसवें समितीय अध्ययन में पाँच समिति और तीन गुप्ति का वर्णन है। यहाँ बताया है कि माता के समान प्रवचनमाता भी सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। ___ पच्चीसवें यज्ञीय अध्ययन में यज्ञ का सही स्वरूप और ब्राह्मण शब्द की मार्मिक व्याख्या की गयी है। यहीं यह भी बताया गया है जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता, कर्म से होता है। कर्मानुसार वर्णव्यवस्था का सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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