________________ दीक्षा युवाचार्य स्वर्गवास अध्ययन प्रवचन बहुश्रुत युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी म. सा. 'मधुकर' विक्रम सम्वत् 1960, मार्गशीर्ष शुक्ला 14 ग्राम-तिंवरी (जोधपुर) विक्रम सम्वत् 1980 वैशाख शुक्ला 101 आचार्य श्री जयमल्ल जी महाराज की सम्प्रदाय के पूज्य श्री जोरावरमल्ल जी महाराज के 10 कर कमलों द्वारा। वि.सं. 2036श्रावणशुक्ला 1(25 जुलाई 1976) / 26नवम्बर 1983 (नासिक)। जैनन्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ, संस्कृत साहित्य में मध्यमा (क्वीन्स कॉलेज, वाराणसी) जैन आगम भारतीय दर्शन तथा संस्कृत प्राकृत-साहित्य का गम्भीर अध्ययन। सुमधुर, सरस, सरल व समन्वयात्मक शैली। अब तक प्रकाशित प्रवचन साहित्य :- अन्तर की ओर(भाग-1,2), साधना के सूत्र आदि। (सम्पादन )मुनिश्री हजारीमल स्मृतिग्रन्थ, साधु वन्दना, जागरण, धर्मपथ, भ. महावीर की साधना, स्वस्थ अध्ययन, सन्मतिवाणी, जयवाणी आदि।(लेखन ) अमर कहानी, (कविता) ज्योतिर्धर जय, सुगम साहित्य माला ( 12 ), तीर्थंकर महावीर एवं जैन कथामाला 51 भागआदि। आगमों का सानुवाद सुविवेचन,सम्पादन,मार्गदर्शन। स्वभाव की सहज मधुरता तथा गुणज्ञता के कारण 'मधुकर' नाम से प्रसिद्ध। सदा प्रसन्नमुख, शान्तिप्रिय एवं वैराग्य से ओत-प्रोत अन्तःकरण। श्रमणसंघ के उच्चपदों पर रह कर भी सदा सरल विनम्र एवं मधुर बने रहे।ज्ञान एवं निर्मल चरित्र के उज्जवल प्रतीक युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी! साहित्य अन्तरंग मुद्रक : मेहता ऑफसेट, ब्यावर. फोन : 253990 Jain Education International Oil For Private & Personal use only wiw.jainelisrary.ots